बिना आंखों के ही करोड़ों की कंपनी खड़ी की
जीवन के अंधेरे को दूर करने की जिद ने आज उन्हें ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया है, जहां रोशनी देख सकने के बाद भी हम नहीं पहुंच सके. किसी समय में आंखों की रोशनी ना होने की वजह से मां, बाप के लिये भारी पड़ रहे श्रीकांत ने अपने बुलंद हौंसले से यह साबित करके दिखाया कि कमजोरी को पकड़ कर जिंदगी नहीं जी जा सकती. इसके लिये हमें लड़ना होगा. इसी एक जिद और बुलंद हौसलों के सामने आखिरकार
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