जी स्पॉट से नहीं एक्साइटेड होती हैं औरतें

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महिलाओं के जी स्पॉट और सेक्सुअल प्लेजर को लेकर खूब चर्चाएं हुई. कई रिसर्च भी हुई. कईयों ने माना कि क्लूटोरिस की तरह ही जी स्पॉट भी होता है तो कईयों ने इसे से नकार दिया. लेकिन एक नई रिसर्च के मुताबिक, जी स्पॉट कुछ नहीं होता बल्कि महिलाओं के सेक्सुअल प्लेजर के लिए इस रिसर्च में नई चीज खोजी गई है.

जी हां, डेली मेल पर प्रकाशित खबर के मुताबिक, अगर जी स्पॉट नहीं भी है तो भी कोई दिक्कत नहीं. इटैलियन डॉक्टर्स द्वारा की गई इस रिसर्च में पाया गया कि महिलाओं का एक इंटीमेट एरिया होता है जो कि सेक्सुअल प्लेजर को बढ़ाता है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस इंटीमेट एरिया में वैजाइना, क्लूटोरिस और यूरिन एरिया भी शामिल है.

नेचर रिव्यूज यूरोलॉजी में प्रकाशित इस स्टडी में बताया गया है कि महिलाओं को एक ही जगह प्लेजर देने के बजाय क्लूटोरिस, यूरिन एरिया और कंप्लीट रिप्रोडक्टिव सिस्टम में प्‍ेजर दिया जाए तो महिलाएं ज्यादा एंज्वॉय कर पाएंगी.

रोम की यूनिवर्सिटी टोर वर्गटा के सेक्सोलॉजिस्ट एम्मान्यूले ए. के मुताबिक, 1950 में एक ही जगह को एप्रोच करने का आइडिया आया था. ‘जी स्पॉट’ का नाम 1950 में जर्मन गाइनोक्लोजिस्ट अनर्स्ट ग्राफेनबर्ग के सुझाव पर रखा गया था.

वहीं 1976 में फीमेल सेक्सुएलिटी के लिए यानी ऑर्गेज्म तक पहुंचने के लिए बड़े स्तर पर क्लूटोरिस को जिम्मेदार माना गया था. अब सेक्सोलॉजिस्ट एम्मान्यूले के मुताबिक, मॉर्डन तकनीक्स जैसे अल्ट्रासाउंड के जरिए जाना जा सकता है कि सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान रिप्रोडक्टिव सिस्टम किस हिस्से में कैसे प्रतिक्रिया देता है.

एम्मान्यूले का मानना है ‌कि क्लूटोरिस, यूरेथ्रा, वैजाइनल वॉल ‘clitourethrovaginal (CUV)’ का निचोड़ है. यानी इन जगहों से सही तकनीक द्वारा महिलाओं को उत्साहित करने की कोशिश की गई तो वे आसानी से चामोत्कर्ष तक पहुंच सकती हैं.

वे आगे कहते हैं कि हम जानते हैं कि एक तरह के ऑर्गेज्म से बेहतर कई जगहों से के आने है. लेकिन वे ये भी कहते हैं जी स्पॉट पर डिस्कशन हमेशा ही चलता रहेगा.

एम्मान्यूले कहते हैं कि वैजाइना एक एक्टिव टिश्यू है जो सेक्सुअली बहुत महत्वपूर्ण है. हालांकि प्रोफेसर एम्मान्यूले की टीम ने इससे पहले रिसर्च में पाया था कि यूरेथ्रा (मूत्रमार्ग) और वैजाइना के बीच एक मोटा टिश्यू होता है जिसे जी स्पॉट का नाम दिया गया.

शोधकर्ताओं ने ये भी पाया कि इस एरिया में कैमिकल मार्कर भी हैं. इन कैमिकल मार्कर से नाइट्रिक ऑक्साइड ‌बनती है तो कि पुरुषों को उत्तेजित करने के लिए जिम्मेदार है. हालांकि इस पूरी प्रक्रिया के अविष्कारक डॉक्टर चार्ल्स ने जी स्पॉट से संबंधित मिथ्स के ऊपर भी लिखा था. डॉक्टर के मुताबिक, जी स्पॉट नाम की कोई चीज नहीं होती और ना ही इससे सेक्सुअल प्लेजर बढ़ता है.

डॉक्टर चार्ल्स ने दावा किया था कि महिलाओं में ओ- स्पॉट होता है. ये एरिया वैजाइना के अंदर और क्लूटोरिस के बह‌ित करीब होता है. डॉक्टर चार्ल्स ने एक ट्रीटमेंट का ऑफर भी दिया था जिसका नाम है ओ-शॉट. इससे सेक्स इच्छाएं और सेक्सुअल सेटि‌फेक्‍शन को बढ़ाया जा सकता है.

डॉक्टर चार्ल्स कहते हैं कि बहुत सी महिलाएं खासतौर पर बड़ी उम्र की महिलाएं या फिर जिनके बच्चे हैं वे उनके क्लूटोरिस की सेंसिविटी कम हो जाती है. ऐसे में ओ-शॉट ट्रीटमेंट के जरिए क्लूटोरिस की सेंसिविटी को बढ़ाया जा सकता है.

ओ-शॉट ट्रीटमेंट के जरिए कुछ इंजेक्‍शंस होते हैँ जिन्हें क्लूटोरिस और वैजाइना में लगाया जाता है. इससे इस एरिया में नए सेल्स जन्म लेते हैं. इनसे सेंसिविटी क्लूटोरिस में बढ़ने लगती है. ओ-शॉट के ट्रीटमेंट का आइडिया डॉक्टर चार्ल्स को वैंपायर फेसलिफ्ट से आया. वैंपायर फेसलिफ्ट को भी डॉक्टर चार्ल्स ने ही डवपल किया था. वैंपायर फेसलिफ्ट के दौरान ब्लड इंजेक्‍शंस को फेस पर इंजेक्ट किया था. जिससे नए टिश्यू जन्म लेते हैं.

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