खुद को लड़का समझते ही लौट आती है इस अंधी लड़की की रोशनी

  • Tweet
  • Share
  • Reddit
  • +1
  • Pocket
  • LinkedIn

आपने कई तरह की अजीब बीमारियों के बारे में पढ़ा-सुना होगा, लेकिन जर्मनी की 37 वर्षीय इस महिला कहानी ने दुनियाभर के डॉक्टरों को हैरत में डाल दिया है. एक दुर्घटना के बाद वह करीब एक दशक से दृष्टिहीन है. महिला एक अन्य गंभीर बीमारी से जूझ रही है और वो है पर्सनॉलिटी डिसऑर्डर यानी वह कई बार अपनी पहचान भूल जाती है.

कभी खुद को लड़का समझने लगती है तो कभी ज्यादा उम्र की महिला. खास बात यह है कि जब भी वह खुद को लड़का समझती है, उसकी आंखों की रोशनी लौट आती है. जैसे ही उसे अहसास होता है कि वह 37 वर्षीय बीटी है, उसकी दुनिया में फिर अंधेरा छा जाता है. साइक जर्नल में महिला की इस स्थिति के बारे में विस्तार से बताया गया है. उसकी पहचान उजागर न करते हुए नाम सिर्फ बीटी लिखा गया है.

READ  बाबा सिद्दिकी की इफ्तार पार्टी कैटरीना, सलमान सहित उमड़े कई बॉलीवुड सितारे

मनोवैज्ञानिक कारणों से ऐसा

बीटी न केवल अपनी पहचान भूल जाती है, बल्कि दस प्रकार की अलग पहचानों की भूल-भूलैया में खोती रहती है. हर पहचान की उम्र, लिंग, स्वभाव और आदतें अलग हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, शुरू में लगा कि बीटी की दृष्टिहीनता का संबंध उनके मस्तिष्क से है, लेकिन बाद में स्पष्ट हुआ कि यह सब मनोवैज्ञानिक कारणों

से है.

अलग काम करते हैं इलेक्ट्रिक रिस्पांस

चार साल की साइकोथेरेपी के बाद बीते दिनों चमत्कार हुआ. थैरेपी सत्र के बाद पाया गया कि बीटी को मैगजीन के कवर पेज पर लिखा एक शब्द दिखाई देने लगा और वह उसे पढ़ भी पाई. 17 साल बाद ऐसा हुआ था. बाद में पता चला उस समय बीटी खुद को एक किशोर समझ रही थी. इस तरह पहचान के साथ-साथ रोशनी का आना-जाना जारी है. ईसीजी टेस्ट से पता चला कि अलग-अलग पहचान में होने पर दिमाग तक जाने वाले इलेक्ट्रिक रिस्पांस अलग-अलग तरह से काम कर रहे हैं.

भाषा भी बदल जाती है

बीटी के दुर्लभ केस से विशेषज्ञों को एक और सबूत मिला कि आखिर इनसान का मस्तिष्क कितना ताकतवर है, जहां से यह भी नियंत्रित होता है कि हम कब देख सकेंगे और क्या नहीं? अलग-अलग पहचान में आने पर बीटी की भाषा भी बदल जाती है. कभी वो जर्मन बोलती है तो कभी अंग्रेजी.

-हंस स्ट्रांसबर्गर और बुर्ने वाल्डवोगेन, जर्मन मनोवैज्ञानिक

Loading...
Loading...