जर्मनी बना रहा दुनिया का दूसरा सूर्य

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सूरज की रोशनी ऊर्जा का बड़ा स्रोत है. सोचिए अगर दो सूरज हों तो ऊर्जा की मात्रा कितनी बढ़ जाएगी. ऊर्जा संकट मिटाने की सोच के साथ जर्मनी अब कृत्रिम सूरज बनाने की कोशिश में जुट गया है. जर्मनी के परमाणु शोध संयंत्र वेंडेलश्टाइन 7एक्स में शोधकर्ता 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस के तापमान पर नियंत्रित परमाणु विस्फोट कर रहे हैं, जो पहले मुमकिन नहीं था. इसके लिए पहले प्लाज्मा का सृजन किया गया. एक कंट्रोल सेंटर की निगरानी में 10 मिलीग्राम हीलियम एक वैक्यूम चेंबर के चुंबकीय क्षेत्र में भेजी गई. उसे 10 लाख डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया गया.

जनवरी में हाइड्रोजन प्लाज्मा

संयंत्र की डायरेक्टर सिबेले गुंटर ने कहा कि इस परमाणु शोध संयंत्र में कार्बन मुक्त बिजली बनाने के लिए परीक्षण की शुरुआत हो गई है. अभी पहला प्लांट हीलियम का इस्तेमाल करके बनाया गया है. अगले महीने यानि जनवरी में पहला हाइड्रोजन प्लाज्मा बनाया जाएगा. इस परीक्षण में शोधकर्ता सूरज पर होने वाली प्रक्रियाओं की तरह नाभिकीय संलयन पर शोध करेंगे ताकि उसका इस्तेमाल धरती पर ऊर्जा पैदा करने के लिए किया जा सके. परीक्षण सफल हो जाएगा, तब आगे चलकर बिजलीघरों में परमाणु संलयन कर बिजली बनाने की योजना है.

ऐसे बनता है प्लाज्मा

वेंडेलश्टाइन 7एक्स टेस्ट संयंत्र दुनिया के सबसे बड़े संलयन (फ्यूजन) टेस्ट संयंत्रों में से एक है. संस्थान के प्रमुख क्लिंगर के मुताबिक हीलियम प्लाज्म बनाना मुख्य परीक्षण का पूर्वाभ्यास (रिहर्सल) है. इसके लिए वैक्यूम चेंबर में माइक्रोवेव से हीलियम को गर्म किया जाता है. इसके जरिए गैस का आयनीकरण (आयोनाइजेशन) हो जाता है और वह प्लाज्मा का रूप ले लेती है. साल 2017 से वेंडेलश्टाइन संस्थान प्लाज्मा बनाने के लिए डॉयटेरियम का इस्तेमाल शुरू करेगी.

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