मात्र 75 घर वाले इस गांव ने भारत को दिए हैं 47 आईएएस ऑफिसर
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गांव के संपन्न लोगों के घरों में कारें तो हैं, लेकिन दूर-दराज तक एंबुलेंस नहीं है. ऐसे में इलाज की जरूरत पडऩे पर तो गांव के बाहर बसे दलित-पिछड़े लोग बाइक या ठेले पर मरीज को लादकर गांव से करीब 18 किलोमीटर दूर जौनपुर ले जाते हैं. इस गांव में सरकारी सुविधा के नाम पर केवल जलनिगम की पानी की टंकी दिखती है. कानपुर ऑर्डीनेंस फैक्ट्री से रिटायर आरएन सिंह बताते हैं कि अमेरिका में बसी गांव की बहू सुमित्रा सिंह साल में एक बार आती हैं तो हेल्थ कैंप लगवाती हैं. एसपी सिंह भी कोशिश करते हैं हर महीने गांव का एक चक्कर लगाया जाए. उन्होंने गांव की सड़कें बनवाने और यहां बीएसएनएल का टावर लगवाने में काफी मदद की है.