फिल्म समीक्षा : कैसा है ये ‘साला खडूस’ ?

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सर्वजीत सिंह चौहान

राजकुमार हिरानी और सुंधा कोंगड़ा की एक सफल पेशकश है साला खडूस. कहानी आदि तोमर (आर  माधवन ) के इर्द गिर्द घूमते हुए शुरू होती है जो अपने पास्ट में गन्दी राजनीती का शिकार होकर अपना बॉक्सिंग करियर चौपट कर  लेता है और एक फेल बॉक्सर के रूप मं पहचाना जाता है. अब वो अपनी हार को जीत में बदलने क लिए बॉक्सिंग कोच की तरह एक ऐसे स्टूडेंट की तलाश में है जो अपने बॉक्सिंग टैलेंट से न सिर्फ जीत हासिल करे बल्कि कोच के असफलता की टीस मिटा सके. चेन्नई के झोपड़ पट्टी में रहने वाली मदि (सारिका) के रूप में उसे एक ऐसी स्टूडेंट मिल जाती है जो उसके लिए उम्मीद की किरण का काम करती है.

मदि एक गंवार गुस्सैल और अपनी ही धुन में मस्त रहने वाली लड़की है जो किसी की भी नहीं सुनती जिससे कोच और स्टूडेंट के बीच अक्सर प्रोब्लेम्स होती रहती है. वही दुसरी  तरफ इंडियन नेशनल बॉक्सिंग का सीनियर कोच देव(जाकिर हुसैन), आदि से अपनी पुराने खुन्नस मिटाने के लिए परेशान है और कोई न कोई मौका निकालकर आदी के लिए मुश्किलें पैदा करता रहता है. क्या फिल्म का क्लाइमेक्स ऐसा है जो दर्शको को संतुष्ट कर सके. क्या नकचढ़ी स्टूडेंट मदी अपने कोच से सामंजस्य बिठाते हुए बॉक्सिंग सीखने में सफल हो पाती है और क्या देव, आदि से अपनी खुन्नस निकाल पाने में सफलता प्राप्त करता है ये कुछ सवाल ऐसे है जो फिल्म को रोमांचक बनाते है इसलिए फिल्म के रोमांच को फील करने के लिए अगर दर्शक सिनेमाघर का रुख करे तो बेहतर होगा.

नयेपन के लिहाज़ से देखे तो कहानी में नयापन नहीं है पर कहानी की पेशकश नयी है. इसके पहले भी चक दे इंडिया और गोल जैसी फिल्मे बन चुकी है जो स्पोर्ट्स पर बेस्ड थी और इन फिल्मो ने कोच स्टूडेंट के बीच संबंधों और खेलों में हो रही गन्दी राजनीती को दर्शाया है वही काम इस फिल्म ने भी किया है पर अंतर कलेवर का है जिसमे नयापन है. एक्टिंग के लिहाज़ से भी फिल्म कसी हुई है. कोच बने आर माधवन एक मैच्योर ऐक्टर के रूप में अपनी अच्छी एक्टिंग स्किल का परिचय कराने में सफल हुए है.

फिल्म की नायिका सारिका ने अपनी ऐक्टिंग के कुछ ऐसा रंग बिखेरा है की उनका हर रंग देखते ही बनता है. ज़ाकिर हुसैन ने देव की भूमिका में अपना नेगेटिव शेड अच्छे से दिखाया है. बाकी छोटी-छोटी भूमिकाओं में आये ऐक्टर्स भी फिल्म को बेहतर ही बनाते है. गीत संगीत की बात करे तो एवरेज ही है सिर्फ ‘’झल्ली पटाखा’’ ही हॉल के बाहर आने के बाद याद रह जाता है पर फिल्म में इमोशनल सीन्स के साथ परोसे जाने के कारण सभी गाने अच्छे ही लगते हैं.

फिल्म का टेक्निकल पक्ष मजबूत है हर बॉक्सिंग सीन को इतने बेहतर तरीके से पेश किया गया है कि वो दर्शकों को अपनी सीट से कुछ इंच ऊपर रोमांच के साथ उछलने के लिए मजबूर कर देते हैं.

क्यों देखें…

1.  आपको इससे पहले ‘रहना है तेरे दिल में’ मूवी के मैडी का कैरेक्टर याद होगा या फिर 3 इडियट मूवी का भोला फरहान. पर ये फिल्म देखने के बाद आपको एहसास होगा कि आर माधवन सिर्फ रोमांटिक या सीधे कैरेक्टर ही नहीं बल्कि ‘साला खडूस’ के खडूस कोच को भी रोल कितनी अच्छी तरीके से अदा कर सकते हैं. अपनी एक्टिंग की सीमाओं को उन्होंने तोड़ा है इस फिल्म में.

2.  वहीं सारिका जिन्होंने बॉक्सर का कैरेक्टर निभाया है. बहुत ही उम्दा कलाकार है. गुस्सैल व गंवार लड़की का रूप हो या चुस्त बॉक्सर का रूप हो हर आयाम में उन्होंने अपने ही रंग भरे हैं. जहां चुस्त-दुरुस्त बॉक्सर के तौर पर अपने शक्तिशाली पंचेज़ का प्रयोग उन्होंने बेहतर तरीके से किया है. तो वहीं रोती हुई इमोशनल बेचारी लेकिन कॉन्फिडेंस से भरी हुई नायिका का रूप भी उन्होंने बड़ी ही तल्लीनता से निभाया है.

3.  फिल्म की इमोशनल लेकिन रोमांचक कहानी को पेश करने के लिए प्रयोग में लाए गए नये कलेवर का आनंद लेने के लिए फिल्म जरूर देखें.

4. खेल में हो रही गंदी राजनीति से पर्दा उठाते हुए फिल्म बड़ी ही बेलाग तरीके से आपको खेलों में फैली गंदगी से इंट्रोड्यूस कराने में सक्षम है.

5. फिल्म में ऐसा कसाव है कि पूरे दो घंटे आप फिल्म से दिमाग हटाने का मन ही नहीं करेंगे.

6. एयरलिफ्ट के बाद ‘साला खड़ूस’ भी देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत नजर आती है पर फिल्म, फिल्मी नहीं लगती है.

क्यों न देखें…

1.  फिल्म का गीत संगीत एवरेज है.

2.  फिल्म में किसी ऐसे स्टार की कमी है जो फिल्म की वैल्यू बढ़ा सके. इसलिए अगर आप परंपरागत दर्शकों की श्रेणी में आते हैं तो फिल्म देखने न जाएं.

3. हिंदी फिल्मों में इतना बदलाव आने के बावजूद भी उनकी छोटी-छोटी कमियां अखरती हैं जैसे LION की जगह LOIN लिखा होना. फिल्म के क्लाइमैक्स में एक सीन ऐसा भी था जहां नायिका की भौंहे चोटिल हो जाती हैं पर अगले ही सीन में वो चोट गायब हो जाती है. उसके बाद उसी सीन के तीसरे शॉट में नायिका की भौंहे फिर से चोटिल दिखाती है. क्या ये सब कमियां डायरेक्टर और कैमरामैन को नहीं दिखती हैं.

4.  अगर आप सिर्फ यह सोचकर जा रहे हैं कि आप फिल्म के हीरो को देखेंगे तो आप गलत हैं क्योंकि फिल्म अपने आप में ही हीरो है. हालांकि नो डाउट आपको आर माधव के रूप में एक अच्छा ऐक्टर जरूर देखने को मिलेगा.

5.  अगर आप फिल्म को बॉक्सिंग पर आधारित होने के कारण, ऐक्शन फिल्म समझकर देखने जा रहे हैं तो आप फिल्म देखने न जाएं. क्योंकि फिल्म में अच्छे बॉक्सिंग सीन तो हैं पर मसाला फाइटिंग बिल्कुल भी नहीं है.

फिल्म का ट्रेलर यहां देखिए…

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