फिल्म समीक्षा : घायल वंस अगेन

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सर्वजीत सिंह चौहान

बलवंत राय को मारकर 14 साल की सजा काटकर आये अजय मेहरा अपनी पुरानी यादों से छुटकारा पाने के लिए ‘सत्यकाम’ नाम का एक मीडिया ग्रुप चलाते हैं और साथ ही में मुजरिमों का पर्दाफाश करने के लिए उनसे दो-दो हाथ भी करते हैं. जिसमें उनका साथ उनके साथ खड़ी टीम देती है.

यही कारण है कि अजय मेहरा की फैन फॉलोविंग जबरदस्त है और खासकर यूथ के बीच वो ज्यादा पॉपुलर हैं. अजय मेहरा के चार डाय-हार्ड टीन एजर्स फॉलोवर्स अचानक से एक बड़ी मुश्किल में फंस जाते हैं क्योंकि उन्होंने एक मर्डर होते देख लिया है. शहर के दिग्गज बिज़नेसमैन राज बंसल उनकी जान के पीछे हाथ धोकर पड़ जाता है. केस अजय मेहरा के हाथों में आता है और वो चारों बच्चों को बचाने के लिए पर्सनल लेवल पर राज बंसल से दुश्मनी ले बैठते हैं.

बंसल जिसकी राजनीति में अच्छी पैठ है,  अपने राजनीतिक दोस्तों को भी अजय मेहरा का दुश्मन बना देता है कहानी 1990 को दोहराती है और जुर्म से लड़ता हीरो अचानक से अकेला पड़ जाता है, और पूरे सिस्टम को अपना दुश्मन बना बैठता है. वो जीतता है या हारता है?  क्या उसकी जद्दोजहद उसको उसके फैन बच्चों को बचा पाती है?  ये सब रोमांचक है.

फिल्म निर्देशक की कमान सनी देओल ने खुद ही संभाली है और कहानी भी उन्हीं के दिमाग की उपज है पर सब कुछ सीधा-सीधा ही है. निर्देशन में कुछ भी ऐसा नहीं है कि जिसे देखकर ये महसूस हो कि सनी एक उम्दा निर्देशक भी हैं. कहानी भी वही है जो नब्बे के दशक में थी.

फिल्म का म्यूजिक शंकर-एहसान-लॉय का है पर उन्हें कुछ खास करने का मौका ही नहीं मिला. फिल्म में सिर्फ दो ही गाने हैं जिसमें पहला गाना जबरन ठूंसा हुआ लगता है. फिल्म का दूसरा गाना अरिजित सिंह की आवाज में ‘हौसला’ जगाने की मुहिम लगता है पर कुछ खास नहीं है.

अब ऐक्शन की बात करें तो फिल्म में रॉ ऐक्शन की भरमार है. इस बार सनी देओल एक घूंसे में 10 लोगों को नहीं उड़ाते बल्कि 10 लोगों से अलग-अलग मैन टू मैन फाइट करते हैं और जीतने के लिए जद्दोजहद करते हुए नजर आते हैं. फिल्म में 3 चेंज सीन हैं. और तीनों की दर्शकों को उनकी सीट में बंधकर बैठे रहने के लिए मजबूर कर देते हैं. सनी के ऐक्शन लार्जर दैन लाइफ नहीं हैं. कुछ ऐक्शन सीन को छोड़कर. ट्रेन के आगे से उछलती हुई कार का ट्रेन से टकराना,  सीटी बजाने के लिए प्रेरित करता है. और सनी का एक ट्रेन से दूसरी ट्रेन में कूदना सांसे रोक देता है.

ऐक्टिंग में सनी ने हमेशा की तरह इस बार भी दिल जीता है. वो रोते हुए अच्छे लगते हैं और गुस्से में भी. फिल्म में दो या तीन सीन में रोते वक्त उन्होंने दमदार अभिनय का परचम लहराया है और बॉलीवुड को ये दिखाया है कि अभी भी उनके अंदर का ऐक्टर मरा नहीं है बल्कि उनको अच्छे ऐक्टर्स की श्रेणी में अव्वल दर्जे में रखता है. सोहा अली खान और ओमपुरी ने अपने – अपने किरदारों के साथ न्याय किया है.

राज बंसल के किरदार में नरेंद्र झा सधे हुए नजर आए हैं. किरदार में ‘नशा’ मूवी से डेब्यू करने वाले शिवम पाटिल बाकी के तीनों टीन एजर्स ऐक्टर्स से बेहतर हैं.

करप्ट पॉलीटिशियन के रूप में मनोज जोशी हंसाते भी हैं और अपने लिए दर्शकों के दिलों में भी नफरत भी पैदा करते हैं. उन्होंने बेहतरीन ऐक्टिंग की है. टिस्का चोपड़ा के पास करने के लिए कुछ था नहीं इसलिए उन्होंने सिर्फ फॉर्मेटिलीट की है.

‘घायल वंस अगेन’ क्यों देखें…

1. सनी देओल पहली बार रॉ ऐक्शन करते हुए नजर आए हैं. रॉ ऐक्शन करते हुए भी वो अच्छे लगते हैं. उनके डाय-हार्ड फैन्स के लिए ये कारण काफी है.

2. फिल्म में अच्छे ऐक्शन और खूबसूरत मुंबई देखने के लिए

3. फिर से 90 का दशक जीने के लिए फिल्म देख सकते हैं.

4. पूरी फिल्म का चार्म सनी देओल हैं पर फिर भी करप्ट पॉलीटिशियन की भूमिका में आए मनोज जोशी की अदाकारी का लुफ्त उठाने के लिए

‘घायल वंस अगेन’ क्यों न देखें..

1. फिल्म की कहानी घिसी-पिटी ही है.

2. निर्देशन में कोई स्ट्रेंथ नहीं है क्योंकि कई जगह फिल्माये गए सीन झल्लाहट पैदा करते हैं. एक ट्रेन से दूसरी ट्रेन में कूदते हुए सनी तो दिखते हैं पर उनसे फाइट करता हुआ विलेन दूसरी ट्रेन में कैसे पहुंच जाता है ये समझ से परे है. वो क्लाइमैक्स में सनी का हेलीकॉप्टर को हाईजैक करना पचता नहीं है.

3. फिल्म शुरुआत के एक घंटे बोझिल हो गई है क्योंकि छोटी-छोटी चीजें समझाने के लिए फिल्म फिसलती है और बोरिंग लगने लगती है.

4. फिल्म में डाले गए इमोशन्स का ओवर डोज हो गया है.

5. सनी देओल के परंपरागत दर्शकों को सनी का ये घायल रूप शायद रास न आए क्योंकि न तो सनी देओल गला फाड़ के चिल्ताते हैं और न ही उन्होंने एक घूंसे में 20 लोगों को मौत की नींद सुलाया है.

निर्देशन – सनी देओल

निर्माता – धर्मेंद्र

कहानी – सागर पांड्या, शक्तिमान तलवार

स्टार कास्ट – सनी देओल, ओम पुरी, शिवम पाटिल,

आंचल मुंजल, सोहा अली खान

म्यूजिक – विपिन मिस्रा

गीत – शंगर एहसान लॉय

रिलीज डेट – 5 फरवरी, 2016

रनिंग टाइम – 126 मिनट

 

फिल्म का ट्रेलर यहां देख सकते हैं आप…

लेखक www.faltukhabar.com के फिल्म पत्रकार हैं. यह लेख उन्होंने मूलत: www.faltukhabar.com के लिए लिखा है.

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