फिल्म समीक्षा : सनम तेरी कसम
विनय और राधिका ने पाकिस्तानी ऐक्ट्रेस और हर्षवर्धन को लेकर एक लव फैंटेसी बनाई है. मुंबई की किसी सोसायटी में अपने मम्मी-पापा और छोटी बहन के साथ रह रही सरु (मावरा) अपनी लाइब्रेरियन की जॉब से खुश है पर किन्ही कारणों से उसकी शादी नहीं हो पा रही है. उसी सोसायटी में किसी फ्लैट में शराबी इंदर (हर्षवर्धन) भी रहता है. जिसकी हरकतों और व्यवहार की वजह से लोग उसे क्रिमिनल समझते हैं. कुछ कारणों से सरु और इंदर में नजदीकियां बढ़ जाती हैं पर ये नजदीकी प्यार नहीं दोस्ती का रूप ले लेती है.
सरु की शादी के लिए लड़का ढूढ़ने का जिम्मा इंदर अपने सर लेता है पर ये करते-करते वो वन साइडेड लेकिन सैक्रिफाइसिंग लव का शिकार हो जाता है. अचानक से कुछ ऐसा होता है कि सरु और इंदर दोनों का दिल टूटता है और वो बिखर जाते हैं. उनके बिखरने, मिलने और फिर बिछड़ने की खूबसूरत कहानी है सनम तेरी कसम.
राधिका राव और विनय सप्रू का वेंचर है सनम तेरी कसम. दोनों ने मिलकर फिल्म का निर्देशन किया है. इसके पहले दोनों ने ‘लकी’ और ‘आई लव न्यूयार्क’ जैसी फिल्में मिलकर बनायी हैं. फिल्म का निर्देशन सीधा और साधारण है क्योंकि बात कहानी पर आ के अटक जाती है और फिल्मकी कहानी का स्वाद ऐसा है कि दर्शक कल हो न हो और आशिकी 2 जैसी फिल्में याद करने लगेंगे. फिल्म की कहानी कई पुरानी बॉलीवुड फिल्मों का मिक्स है इसलिए इमोशनल होने के बावजूद रोचकता में कमी है.
ऐक्टिंग की बात करें तो फिल्म सही मायने में मावरा की, मावरा से और मावरा के लिए ही है. हर्षवर्धन कई जगह उम्मीदें जगाने के बावजूद निराश कर देते हैं. हर सीन में उनका इमोशनल चेहरा खीझ पैदा करता है पर मावरा बोरिंग और लंबे खिंचते सीन्स को भी अपनी ऐक्टिंग और मादक मुस्कान या फिर टपकते हुए आंसुओं से बेहतर बनाती हैं. उनमें एक बेहतर ऐक्ट्रेस की असीम संभावनाएं हैं. जो सीन दर सीन निकलकर आ रही थी. सरु के खड़ूस पिता के रोल में मनीष चौधरी ने एक साउथ इंडियन की भाषा को पकड़ते हुए ऐक्टिंग की अच्छी पेशकश दी है.
फिल्म का संगीत हिमेश रेशमिया का है और संगीत के अच्छे जानकार दर्शक फिल्म का म्यूजिक सुनते ही समझ गए होंगे कि फिल्म में हिमेश का म्यूजिक है क्योंकि उनकी अपनी ही एक अलग शैली है. ‘तू खीच मेरी फोटो’ और ‘सनम तेरी कसम’ गानों ने पहले ही धूम मचा रखी है. फिल्म के बाकी गाने भी सुनने लायक हैं.
क्यों देखें…
1. मावरा के लिए, वो कुछ-कुछ श्रुति हसन जैसी लगती हैं और उनकी आवाज रानी मुखर्जी से मेल खाती है. कुल मिलाकर वो आपको फिल्म के हर सीन में क्यूट लगेंगी.
2. हल्की – फुल्की इमोशनल फिल्म देखने के शौकीन हैं तो.
3. फिल्म के गाने बेहतरीन हैं.
4. बाप-बेटी, बड़ा-छोटा और दूसरे रिश्तों के मूल्यों को समझने के लिए
क्यों न देखें
1. हर्षवर्धन के एक ही तरह के इमोशनल एक्सप्रेशन के लिए क्योंकि आप ऊब जाएंगे
2. फिल्म की कहानी नई नहीं है.
3. फिल्म में इमोशन का तड़का लगाने के चक्कर में सीन इतने लंबे हो कर दिए गए हैं कि सिर पीटने का मन करता है
4. फिल्म में हीरो का खर्चा कैसे चल रहा है जबकि वो अपने बाप से अलग हो चुका है. ये समझाने की कोशिश न तो राइटर ने की है और नही निर्देशक ने. पुराने फॉर्मूले का प्रयोग करते हुए दर्शकों को नासमझ की श्रेणी में रख दिया है.
निर्देशक – राधिका राव, विनय सप्रू
स्टार कास्ट – हर्षवर्धन राणे, मावरा होकाने
म्यूजिक – हिमेश रेशमिया
रनिंग टाइम – 154 मिनट
फिल्म का ट्रेलर यहां देखिए…
लेखक www.faltukhabar.com के फिल्म पत्रकार हैं