फिल्म समीक्षा : सनम रे
सर्वजीत सिंह चौहान
अरिजीत सिंह, अंकित तिवारी, जैज धामी और अन्य अच्छी अवाजों के साथ सनम रे इस वैलेनटाइन का तोहफा है आशिकों के लिए. जिसे पेश किया है दिव्या खोसला कुमार ने. उन्होंने इससे पहले पिछले साल यारियां को डायरेक्ट किया था. बिल्कुल उसी तरह की इमोशनल तड़का अच्छे म्यूजिक और कुछ उलूल-जलूल हरकतों का काम्बो है सनम रे. हिमाचल प्रदेश के किसी बर्फीले शहर की कहानी कहते हुए फिल्म आकाश(पुलकित सम्राट) और श्रुति(यामी गौतम) और बुढ़े दादा(ऋषि कपूर) की भी कहानी है.
आकाश को बचपन में ही श्रुति से प्यार हो गया है. प्यार श्रुति को भी है पर बढ़ती उम्र आती हुई रिस्पांसिबिलिटी के कारण आकाश अच्छा कमाने की जद्दोजहद में मुंबई आ गया है. श्रुति उसकी जिंदगी से दूर जा चुकी है जिसका दर्द लिए वो जिंदगी की आपाधापी झेल रहा है. कुछ जॉब रिलेटेड वर्क की वजह से उसकी मुलाकात आकांक्षा(उर्वशी राउतेला) से होती है.
इससे पहले कि आकाश और आकांक्षा का प्यार हिलोरे मारता श्रुति की एंट्री होती है फिर सब कुछ बदल जाता है. फिल्म में रिलेशन्स की इस उधेड़-बुन में तीनों आपस में मिलते और बिछड़ते रहते हैं. पर अब श्रुति, आकाश से शादी नहीं करना चाहती. उसके पीछे एक कारण है. फिल्म प्यार और दोस्ती को गढ़ते-गढ़ते बहुत कुछ कह जाती है. इसलिए उन रिश्तों की गर्माहट को और उनके बीच की आतंरिक सुगबुगाहट की कहानी समझने के लिए ये फिल्म देखी जा सकती है.
फिल्म की कहानी में नयापन नदारद है. आनंद और कल हो न हो के इमोशन्स का तड़का है. यहां तक फिल्म के कई दृष्य भी दूसरी फिल्मों की नकल लगते हैं.
निर्देशन तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि वो दिव्या खोस्ला कुमार को अच्छे निर्देशक की तरह पेश करे. उन्होंने वही सारी गलतियां इस फिल्म में भी की है जो यारियां में की थीं. शायद उन्हें इस बात का अहसास नहीं है कि अच्छे म्यूजिक और मसाला, रोना-धोना डालने से ही फिल्म अच्छी नहीं बनती है. बेशक फिल्म हिट कराने के लिए ये काफी है पर फिल्म अच्छी फिल्मों की कतार में शामिल नहीं होती.
सिनेमैटोग्राफी अच्छी है. पूरी फिल्म अच्छे लोकेशन्स में शूट हुई है जिससे पहाड़ और बर्फ की मदद से अच्छे प्राकृतिक दृष्य गाढ़े गए हैं तो मुंबई और कनाडा के रूप में आधुनिकता का भी मिश्रण है.
फिल्म के सभी गाने अच्छे हैं और सुनते ही जुबान पर चढ़ने वाले हैं. फिल्म का टाइटल ट्रैक और तुम बिन जिया जाये कैसे गाना मस्त है. हमने पी रखी है में जैज धामी और दिव्या खोस्ला कुमार ने पैरों में थिरकन पैदा की है.
ऐक्टिंग में यामी गौतम ने बाजी मारी है. अपने चेहरे के हाव-भाव को लेकर वो स्प्ष्ट हैं. उर्वशी आकर्षक लगी हैं और उनके डांस स्टेप की क्लीयरिटी में उनका कॉन्फिडेंस दिखता है. पुलकित सम्राट जैसे फुकरे, बैंगिस्तान में थे वैसे ही हैं. अगर उनको उम्दा नहीं कहा जा सकता तो बेकार भी नहीं कहा जा सकता है. श्रुषि कपूर संबल की तरह हैं जो पूरी तरह से निखरचुके हैं. अपनी उम्र से 20 साल ज्यादा की उम्र में भी वो अच्छे लगे हैं.
क्यों देखें..
1. अच्छे गानों एंव भरपूर नहीं तो छिटपुट मसालों के लिए.
2. फेयर एंड लवली गर्ल अब सिर्फ एड का चेहरा ही नहीं बची बल्कि उससे काफी आगे निकल चुकी है.
3. मां के पूछने में आकाश श्रुति से न मिलने का कारण बताता है और चुप हो जाता है. अच्छे म्यूजिक के सहयोग से डायलाग आंखों में आंसू लाने में कामयाब होता है. ऐसे बहुत से अच्छे सीन्स के लिए.
4. लवर्स के लिए वैलेन्टाइन डे का अच्छा तोहफा है फिल्म
5. बदलते रिश्तों एंव जिंदगी की आपाधापी के बीच रिश्तों की अहमियत का संदेश देने वाली फिल्म के लिए
क्यों न देखें..
1. नकल की भरमार है. जाने-पहचाने इमोशनल सीन्स तो हैं हीं पर हद तो तब हो गई जब आकाश की झूठी चाय उर्वशी पीती हुई नजर आती है. यह सीन आयुष्मान खुराना के पिछले दिनों आए एक एल्बम की याद दिलाता है. जिसमें हुमा आयुष्मान की जुठी चाय पीती हुई दिखाई देती हैं. नकल के मामले मे दिव्या इतनी अव्वल हैं कि उन्होंने ऑफिस के बॉस और आकाश और बाकी कर्मचारियों की झड़प व रिजाइन देने का दृष्य एड्स के ऊपर आए 4-5 साल पुराने ऐड से उठा लिया है.
2. फिल्म का ड्रामा 15 साल पहले की फिल्मों की याद दिलाता है.. कार के डोर्स अचानक तब लॉक हो जाते हैं जब आकाश कार से निकलना चाहता है और श्रुति से मिलना चाहते हैं.
3. क्या इमोशन्स को ठीक से प्रगट करने के लिए फिल्म के अहम कैरेक्टर को मारना जरूरी होता है. यह देखके खिन्नता पैदा होती है.
4. आकाश की गाड़ी में यारियां फिल्म का आज ब्लू है पानी बजाने की क्या जरूरत थी कोई और गाना भी बजाया जा सकता था. शायद निर्देशक अपनी याद को दर्शकों के मन में ताजा रखने के के डर से ये किया है.
5. बूढ़े दादा(ऋषि कपूर) के आगे के दो दांत नहीं हैं पर उनको छुपाने में मेकअप आर्टिस्ट सक्षम नहीं है चमकते फ्लैश के कारण वो दो खाली दातों की जगह दो काले दांत दिख जाते हैं. निर्देशक ने सूक्ष्मता पर ध्यान नहीं दिया है.
6. पुलकित सम्राट, सलमान खान जैसे लगने की कोशिश क्यों करते हैं ये समझ से परे है.
निर्देशक – दिव्य खोसला कुमार
स्क्रीनप्ले – संजीव दत्ता
स्टार कास्ट – पुलकित सम्राट, यामी गौतम, उर्वशी राउतेला
म्यूजिक – मिथून, जीत गांगुली, अमल
सिनेमैटोग्राफी – समीर आर्या
फिल्म का ट्रेलर यहां देखिए ..
लेखक www.faltukhabar.com के फिल्म पत्रकार हैं. यह लेख उन्होंने मूलत: www.faltukhabar.com के लिए लिखा है.