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एक दूसरे की मर्जी से बनाया गया शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं: कोर्ट

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नई दिल्ली: एक दूसरे की मर्जी से बनाया गया शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं कहलाता. यह कहते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज सोलापुर के युवक को एंटी सिपेटरी बेल मंजूर किया है.

जस्टिस मृदुला भाटकर ने इस मामले की सुनवाई करते वक्त साफ कर दिया कि अगर कोई पश्चिमी सभ्यता की तरह बर्ताव करेगा तो उसके परिणामों को भी उस शख्स को भुगतना होगा. महाराष्ट्र के सोलापुर में रहनेवाला एक 25 वर्षीय लडका और मुंबई की 24 वर्षीय लडकी दोनो एक दूसरे से प्यार करते थे.

मार्च 2015 मे दोनो के बीच शारीरिक संबंध हुए. लडकी गर्भ से होने का पता चलते ही उसने शादी के लिए लडकेप र दबाव बनाना शुरू कर दिया. लेकिन लडके ने मई 2015 में लडकी को अबॉर्शन कराने पर मजबूर कर दिया. और उसके बाद आहिस्ता आहिस्ता लडकी के साथ सारे संबंध तोड दिए.

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जिसके अक्टूबर 2015 में लडकी ने मुंबई के गोरेगाव पुलिस स्टेशन में लडके के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराया. लडके ने अंतरिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी. जिसे मंजूर करते हुए जस्टिस मृदुला भाटकर ने साफ कर दिया है कि लडका और लडकी दोनो 18 साल के उपर है, पढे लिखे हैं.

अगर लडकी चाहती तो शरीर संबंध बनाने से मना कर सकती थी. संबंध बनाने के बाद वह बलात्कार का आरोप नही लगा सकती. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को 25 हजार की जमानत मंजूर करते हुए, उसे लडकी से या उसके परिवार से किसी भी तरह का संपर्क करने से मना कर दिया है.

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