गर्भनिरोध के लिए मौजूद हैं ढेरों विकल्‍प


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गर्भनिरोध के विकल्‍पों के प्रति जागरुकता का अभाव और उन्‍हें लेकर समाज में फैली भ्रांतियों के कारण भारतीय समाज में आज भी लोग इसके इस्‍तेमाल करने से बचते हैं. लेकिन, गर्भनिरोध के अधिकतर विकल्‍प न केवल सुरक्षित होते हैं, बल्कि इनका सेक्‍सुअल इच्‍छाओं पर भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता.

गर्भनिरोध के यह उपाय परिवार नियोजन में महत्‍वपूर्ण भूमिका तो निभा ही सकते हैं, साथ ही यह यौन रोगों से बचाने में भी मददगार होते हैं.

गर्भनिरोध के विकल्‍प

कण्डोम

गर्भ-निरोध और सेक्स संबंधित बीमारियों से बचने के लिए कण्‍डोम को सबसे सुरक्षित और सुलभ विकल्‍प माना जाता है. इसमें महिला व पुरुष कण्डोम दोनों विकल्प‍ उपलब्ध हैं. हालांकि महिला कण्‍डोम को लेकर अभी भी जागरुकता का अभाव है. साथ ही डायाफ्राम (मध्य‍ छिद्र वाला) का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. कण्‍डोम का मुख्‍य काम पुरुष वीर्य में मौजूद शुक्राणुओं और महिला के शरीर में मौजूद अण्डाणुओं के बीच संबंध स्था‍पित होने से रोकना होता है.

इम्प्लांट

इम्‍प्‍लांट को हार्मोनयुक्‍त छोटी सी छड़ के नाम से जाना जाता है. इसे ऐसी महिला, जो गर्भधारण न करना चाहती हो, के शरीर में लगायी जा सकती है. आमतौर पर यह छड़ अन्‍दर तीन से पांच वर्ष तक रह सकती है. इम्प्लांट से लगातार प्रोजेस्‍टरोन हार्मोन निकालता रहता है, जो महिला को गर्भवती होने से बचाता है. हार्मोन गर्भग्रीवा के चारों ओर के म्यूकस को गाढ़ा कर देता है, जिससे शुक्राणु इसके पार नहीं जा पाते. हार्मोन की मात्रा के अनुसार, यह अंडाशय से डिंब का उत्पादन भी बंद कर देता है.

कंबाइंड शॉट

कंबाइंड शॉट एस्‍ट्रोजन और प्रोजेस्‍टरोन नाम की दो अलग प्रकार की हार्मोन सुई होती है. इसका इस्‍तेमाल करने के लिए इसे हर महीने लेना होता है. यह सुइयां अंडाशय से डिंब का निकलना बंद कर देती हैं, जिससे महिला गर्भवती नहीं हो पाती.

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वेसक्टॉमी

वेसक्टॉमी नामक सर्जिकल प्रक्रिया को पुरूषों की नसबंदी के लिए किया जाता है. इसमें वास डिफेरेनस को तोड़ या अलग कर दिया जाता है, जो स्खलन के दौरान टेस्ट्स से स्पर्म्स का निष्कर्षण कराते हैं. यह सर्जरी काफी आसान है और इसकी सफलता की दर काफी अधिक है. इससे लिंग के कठोर होने, सेक्सुअल इच्छाओं और गतिविधियों पर कोई फर्क नहीं पड़ता. इस प्रक्रिया का पुन: परिवर्तन अक्सर अपेक्षित परिणाम नहीं देता, इसकी सफलता की दर कम होती है और साईड इफेक्टस होने का खतरा भी रहता है. यह गर्भनिरोध का एक स्थायी उपाय है.

हार्मोनयुक्त आईयूडी

आईयूडी का अर्थ है इंट्रायूटेरिन डिवाइस, अर्थात् गर्भाशय में लगाया जाने वाला उपकरण. इसके लिए माचिस की तीली के बराबर मोटाई वाली बेलनाकार वस्तु को डाक्‍टर द्वारा गर्भाशय में डाला जाता है. हार्मोनयुक्त आईयूडी पांच वर्षों तक अंदर लगी रह सकती है.

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इंजेक्‍टेबल गर्भनिरोधक

इंजेक्‍टेबल गर्भनिरोधक खाई जाने वाली गर्भनिरोधक गोलियों की तरह ही कार्य करते हैं. यह गर्भनिरोध का काफी प्रभावी तरीका है. इसका कार्य सर्वाइकल म्‍यूकस को गाढ़ा करना और अंडनिषेचन की रोकथाम करना है. इंजेक्टेबल गर्भनिरोधक को तीन महीने में एक बार दिया जाता है.

बर्थ कंट्रोल स्किन पैचेस

बर्थ कंट्रोल स्किन पैचेस पतले चौकोर पैच होते हैं. इनमें फीमेल हॉर्मोन एस्‍ट्रोजन और प्रोजेस्‍टरोन होते हैं जो स्किन से ब्‍लड में जाते हैं. यह गर्भनिरोध करते हैं. इनका प्रभाव भी वैसा ही होता है जैसे हॉर्मोन गर्भनिरोधक गोलियों का होता है. ये एसटीडी से कोई सुरक्षा प्रदान नहीं करते.

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