15 सालों से 350 अनाथ बच्चों को हर हफ्ते खाना खिला रही है यह महिला

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मुंबई की आर्थिक असमानता के बीच कुछ लोग ऐसे हैं जो इस आर्थिक अंतर को कम करने की कोशिश करते हैं. ऐसे लोग इस आर्थिक अतंर में कुछ समानता लाने में सफल भी होते हैं.

मीना मानेक, एक हाउसवाइफ और एक मां, ऐसी ही मुंबईवासी हैं जिन्होंने बेहद गरीब बच्चों की मदद की ठान रखी है. मानेक पिछले 15 सालों से चुपचाप अपना काम कर रही हैं.

सोशल मीडिया पर मानेक के काम की चर्चा उस समय होने लगी जब फेसबुक पर एक पेज पर उनका जिक्र हुआ. ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे नाम के इस पेज पर मानेक के काम को सराहा गया और सारे देश को उनके इन नेक कामों की खबर लगी.

मीना मानेक हर हफ्ते के अंत में अनाथालय जाकर 350 बच्चों को पिछले 15 सालों से खाना खिला रही हैं.

उनके इस नेक काम के पीछे उनका मकसद समाज में पहचान बनाना नहीं क्योंकि जब उन्होंने चुपचाप यह काम शुरू किया उस दौर में सोशल मीडिया का अस्तित्व ही नहीं था. उन्हें इस कार्य की प्रेरणा ऐसी चीज से मिलती है जो हर मां के लिए सबसे खास है. यह चीज है बच्चे की मुस्कुराहट.

मीना मानेक और उनके पति को विश्वमाता फाउंडेशन ने आदर्श माता पिता सम्मान से सम्मानित किया है. यह कार्यक्रम पूना में 21 मई 2016 को आयोजित किया गया था. एक समय मानेक को लगा कि ऐसे बहुत से बच्चे हैं जिन्हें खाने की समस्या है. इसी सोच के बाद उन्होंने बच्चों को खाना खिलाने का फैसला किया.

मीना मानेक कहती है कि 15-साल पहले उन्होंने अपने देवर के साथ एक अनाथालय में जाकर फल बांटे. एक हाउसवाइफ और मां के तौर पर उन्होंने अपने बच्चों को वह खिलाया जो उन्होंने मांगा.

उन्हें अनाथालय में महसूस हुआ कि इन बच्चों को यह सुविधा नहीं है. तब से हर हफ्ते वे 350 बच्चों को उनकी पसंद का भोजन कराती हैं. हर शनिवार वे 4 बजे उठकर इन बच्चों का भोजन तैयार करती हैं. मानेक के लिए यह सिर्फ बच्चों को खाना खिलाना नहीं है. यह बच्चों को प्यार के साथ खाना खिलाना है.

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