100 वें बच्चे को पैदा करने के लिए चौथी बीवी की तलाश

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पाकिस्तान में एक छोटी क्लिनिक चलाने वाले मेडिकल तकनीशियन सरदार जान मुहम्मद खिलजी अपने धार्मिक कर्तव्य को पूरा करने के लिए चौथी बीवी की तलाश में हैं. 46 साल के खिलजी की पहले से तीन बीवीयां हैं जिनसे उनके 35 बच्चें हैं. जहां खिलजी अपने 100 बच्चों को लक्ष्य पूरा करने के लिए चौथी बीवी की तलाश कर रहे हैं. वहीं मानवाधिकार आयोग ने खिलजी की इस चाहत पर चिंता जाहिर की है.

मानवाधिकार संगठन कहना है कि बहुविवाह प्रणाली में बच्चे और औरतें को ही तकलीफें झेलनी पड़ती हैं. गौरतलब है कि पाकिस्तान में इस्लाम के तहत चार बीवियां रखने की इजाजत है हालाकि इसके लिए पहली बीवी और एक धार्मिक परिषद से इजाजत लेनी पड़ती है.खिलजी एक मेडिकल तकनीशियन हैं. उनका कहना है कि वे शायद ही कभी अपने बच्चों के नाम भूलते हैं. शादी जैसे मौकों पर वे बारी-बारी से बच्चों को उनकी मां के साथ ले जाते हैं.

उनकी तीनों बीवियां उनके इस लक्ष्य में सहयोग कर रहीं हैं और मिलजुल कर रहतीं हैं हालाकि उन्होंने उनसे बात करने की इजाजत नहीं दी.पिता के नाम के लिए जद्दोजहदमहिला अधिकार कार्यकर्ता राफिया जकारिया का कहना है कि हालांकि पाकिस्तान में एक से ज्यादा बीवियां रखने की घटनाएं काफी कम हैं. एक अध्ययन के मुताबिक ऐसे हालातों में अक्सर ये होता है कि बीवियां घोर निराशा की शिकार हो जातीं हैं और बच्चे अक्सर अपने पिता का नाम जानने के लिए जद्दोजहद करते पाए जाते हैं.

बहुविवाह अच्छा नहीं कुरान के मुताबिक ज्यादा बीवियां तभी रखी जा सकतीं हैं जब शौहर उन सभी के साथ पूरी तरह न्याय करने की हालत में हों जबकि पूरी तरह न्याय करना मुमकिन नहीं होता और इसीलिए बहुविवाह कभी भी अच्छा नहीं हो सकता है. इस प्रथा के खिलाफ प्रचार करने वाली राफिया ने बताया. कोई तो हमेशा तकलीफ झेलता है लेकिन हमेशा औरतें और बच्चे ही तकलीफ झेलते हैं. महिलाओं को मानसिक प्रताडऩाक्वेटा में पारिवारिक वकील के तौर पर बहुविवाह के केस लडऩे वाले मुहम्मद बिलाल कासी भी इस बात से सहमत हैं कि औरतें और बच्चों को इन मामलों में मानसिक प्रताडऩा से गुजरना पड़ता है.

हम वकील बहुविवाह की सामाजिक समस्याओं से अच्छी तरह से वाकिफ हैं. ऐसे में पिता की मौत के बाद तनाव जायदाद और हक से जुड़े कानूनी मामले तक पैदा कर देता है.5 बेडरूम वाला मिट्टी का घरबलूचिस्तान प्रांत के क्वेटा में पांच बेडरूम वाले मिट्टी के घर में एक साथ मिलकर रहनेवाली जान की बीवियों को बोलने की इजाजत नहीं मिल सकी और वे ये भी न बता सकीं कि इस लंबे चौड़े खानदान में उनका जीवन कैसा है.

 जान के बच्चों में से केवल दो ही उनके लक्ष्य में उनका साथ दे पा रहे हैं. जिनमें उनकी बड़ी बच्ची 15 साल की शुगफ्ता नसरीन शामिल है. शुगफ्ता ने कहा कि बड़ा परिवार अल्लाह की तरफ से आम की टोकरी के तोहफे जैसा है. उसका कहना है कि वो अपने पिता की तरह चिकित्सा के पेशे में जाएगी. जान के बड़े बेटे 13 साल का मुहम्मद ईसा भी अपने पिता के कदमों पर चलना चाहता है लेकिन वह अपने पिता से आगे जाकर 100 से भी ज्यादा बच्चे चाहता है.

क्लीनिक के भरोसे ही चलता रहा है परिवारएक काबिल मेडिकल तकनीशियन होने का दावा करने वाला जान एक छोटी सी क्लीनिक चलाता है जहां वह लोगों की मामूली बीमारियों का इलाज करता है. वह हर मरीज से 250 रुपये (2.3 डॉलर) लेता है और गरीबों का मुफ्त इलाज करता है. जान चंदे से 400 छात्रों की एक पाठशाला भी चलाता है. इन छात्रों में उसके चार बच्चे भी शामिल हैं और कुरान पढ़ रहे हैं.

उनका कहना है कि वे अपने 35 में 20 बच्चों की निजी स्कूल की फीस खुद चुकाते हैं. घरखर्च के लिए सरकार से मांगी है मददउनका घरखर्च बहुत ज्यादा है जो कई बार एक लाख बीस हजार से भी ज्यादा हो जाता है जो कि पाकिस्तानी औसत का दस गुना है जहां पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. उन्होंने दावा किया कि उन्हें कभी भी आर्थिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ा लेकिन वे ये नहीं बता पाए कि केवल मेडिकल के काम से वे सारे खर्चे कैसे निकाल लेते हैं.

उन्होंने माना कि बढ़ते बच्चों के साथ उनकी जरुरतें बढ़ती जा रहीं हैं इसीलिए उन्होंने सरकार से अपने परिवार के भोजन शिक्षा और स्वास्थय के लिए मदद मांगी की है जिसके माने जाने की संभावना कम ही है. लेकिन जान को अल्लाह पर पूरा भरोसा है कि सरकार भले ही ना सुने लेकिन अल्लाह जरूर सुनेगा.गौरतलब है कि पाकिस्तान की एशिया में सबसे ज्यादा जन्म दर है.

विश्व बैंक और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान में प्रति महिला तीन बच्चे हैं हालाकि असल में तीस सालों से जनगणना हुई ही नहीं है.माता पिता ने ही की हैं उनकी सारी शादियांपांचों वक्त नमाज पढऩे वाले जान की सबसे बड़ी संतान 15 साल की है और सबसे छोटी कुछ ही हफ्तों की है. मार्च तक उनके 33 बच्चे ही थे फिर उस महीने छह दिन के अंदर दो जुड़वां बच्ची हुई. उनकी सारी शादियां उनके माता पिता ने की थीं. पहली शादी 26 साल की उम्र में फिर अगले साल 5 महीने के अंतर से बाकी दो शादियां हो गई.

अगली शादी फेसबुक के जरिए हो सकती हैउनकी अगली शादी फेसबुक के जरिए हो सकती है क्योंकि उनकी कहानी के पाकिस्तानी मीडिया में चर्चे हैं और उनके पास सोशल नेटवर्क से कई प्रस्ताव भी हैं.जान के घर में एक डबलबैड की बड़ी तस्वीर है जो 2013 में प्रांतीय चुनाव लडऩे के समय की यादों से जुड़ी हैं और उनकी जिंदगी के लिए खास मायने रखती हैं.

उस वक्त उन्हें 980 वोट ही मिले थे जो जीत के लिए काफी नहीं थे.

 

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