कहीं आपका टूथपेस्ट आपको बीमार तो नहीं कर रहा…!

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क्या आपके टूथपेस्ट में जहर है? अगर आपने अब तक इसके बारे में नहीं सोचा है तो अब सोचना शुरू कर दीजिए क्योंकि जो खुलासा हुआ है उसे जानकर आप टूथपेस्ट का इस्तेमाल करने से पहले हजार बार सोचेंगे.

हम आपको आज टूथपेस्ट से जुड़ी हुई खबर के बारे में बताने जा रहे हैं. टॉक्सिक लिंक नाम की एक एनजीओ ने दावा किया है कि ज्यादात्तर टूथपेस्ट में खतरनाक कैमिकल मिले हैं जो कि जहर के रूप में आपके शरीर में जा रहा है.

आपके टूथपेस्ट में जहर का दावा किया जा रहा है. दरअसल, टूथपेस्ट के जरिए जहर आपके शरीर में जा रहा है.

टॉक्सिक लिंक नाम की संस्था का दावा है कि ज्यादात्तर टूथपेस्ट में ट्राईक्लोसन नामक केमिकल मिला होता है जो कि केमिकल के रूप में एक किस्म का जहर है. इसका असर ये होगा कि आप कैंसर और लीवर की गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं.

पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था टॉक्सिक लिंक के प्रवक्ता प्रशांत कुमार का कहना है कि हमने लगभग 22 सैंपल की जांच की है जिनमें से तकरीबन 16 सैंपल्स में से ट्राईक्लोसन नामक केमिकल मिला है. बेशक, इन टूथपेस्ट में ट्राईक्लोसन की मात्रा किसी में कम या ज्यादा है.

अब भारत में ट्राईक्लोवसन पर बैन की मांग की जा रही है. आपको जानकर हैरानी होगी सिर्फ टूथपेस्ट ही नहीं बल्कि नहाने के साबुन और हाथ धोने वाले सैनिटाइजर में भी ये कैमिकल बहुत अधिक मात्रा में है. जबकि दावा ये किया जाता है कि साबुन या सैनिटाइजर के इस्तेमाल से बैक्टीरिया के आक्रमण से बचा जा सकता है. लेकिन सच ये नहीं है जो विज्ञापनों में बताया जाता है.

11 उत्पादों में 78 फीसदी सैंपल्स में मानक सीमाओं से अधिक ट्राईक्लोसन कैमिकल पाया गया.

आपको बता दें हार्मोंस के लिए ट्राईक्लोसन कैमिकल खतरनाक है. इससे हार्मोंस अपना काम ठीक से नहीं कर पाते.

ट्राईक्लोसन कैमिकल से एकाग्रता की कमी, याददाश्त कम होने की शिकायत बढ़ने लगती है.

ट्राईक्लोसन कैमिकल के अधिक इस्तेमाल से गैस्ट्रिक सिस्टम भी कमजोर होता है.प्राइमस के डॉ. आशीष गुप्ता का कहना है कि ये कैमिकल दो तरह से प्रभावित करता है. जो व्यक्ति इसका इस्तेमाल कर रहा है उसकी सेहत को ये कैमिकल नुकसान पहुंचाता है. दूसरी तरह से जब ये फेंके जाते हैं तो ये पानी के जरिए फूड में शामिल होते हैं जिसके काफी नुकसान हैं.

आपको बता दें ट्राईक्लोसन का इस्तेमाल कई देशों में बैन किया जा चुका है. अब इस संस्था की मांग है कि भारत में भी इसे बैन किया जाए. अब देखना होगा कि टूथपेस्ट कंपनियां इस दावे पर क्‍या कहती हैं.

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