बचपन के दोस्त होते हैं खास !


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कभी क्लास के पहले दिन से तो कभी क्लास के बाहर पनिशमेंट में खड़े होकर या फिर तकरार के बाद, दोस्ती कभी भी और किसी भी स्थिति में शुरू हो जाया करती थी. ऐसे ही तो होते थे स्कूल के दिन और बचपन के दोस्त.

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एक ही डेस्क पर बैठना और साथ में लंच करने से लेकी वॉशरूम तक साथ में जाना बचपन की दोस्ती को और मजबूत बना देता है. बचपन के दोस्तों में प्यार की हद तो तब हो जाती थी कि अगर कोई एक बीमार पड़े तो दूसरा भी उसकी याद में बीमार हो जाया करता था. आपको भी याद आ गए न अपने बच्पन के साथी. स्कूल से वापस आते टाइम साइकिल तेज चलाने का कॉम्पटिशन हो या फिर पैसे बचाकर आइसक्रीम और गोल-गप्पे खाना, दोस्तों के साथ बिताया हर एक पल किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं होता था.

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खेलना-कूदने से लेकर शैतानियां करने तक दोस्तों के साथ तो टीचर की डांट खाना और मम्मी की पिटाई सब अच्छा लगता था. कितनी प्यारी थी वो दोस्ती और कितने अच्छे थे वो बचपन के दिन. आज भी उसमें से कुछ दोस्त साथ हैं जो समय-समय पर दोस्ती की उस सौंधी खूश्बु को याद दिलाते रहते हैं. जैसे-जैसे बड़े हुए दोस्ती का ये रंग भी गहरा होता गया. हां ये बात जरूर है कि कॉलेज और ऑफिस में कुछ और अच्छे दोस्त बने लेकिन बचपन के वो दोस्त और उनकी दोस्ती की तो बात ही कुछ और है.

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इसीलिए अब जब भी हमें टाइम मिलता है हम अपने पुराने दिनों को याद करने के लिए अपने शहर निकाल पड़ते हैं और वहां के हर गली कोने में अपनी दोस्ती की यादों को ताजा करने के लिए. अगर आप भी अपने बचपन के दोस्तों को बहुत मिस करते हैं तो क्यों उनके लिए टाइम निकालें और उनके साथ मिलकर अपनी दोस्ती को सेलिब्रेट करें क्योंकि बचपन के दोस्त बार-बार नहीं मिलते.

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