फिल्म समीक्षा : एक योद्धा शूरवीर

साल 2006 में आई राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फ़िल्म ‘रंग दे बसंती’ की एक खास बात ये थी की फ़िल्म में वर्तमान और इतिहास को रिलेट करके पर्दे में उतारा गया था. ऐसा ही प्रयोग ‘एक योद्धा शूरवीर’ में किया गया है. फ़िल्म में इतिहास और वर्तमान को रिलेट करते हुए बहुत सारी पते की बातों की पोटली समाज के सामने रखने की कोशिश की गयी है. संतोष सिवान ने इसके पहले भी भारतीय इतिहास को शाहरुख को लेकर ‘अशोका’

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