फिल्म समीक्षा : एक योद्धा शूरवीर

साल 2006 में आई राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फ़िल्म ‘रंग दे बसंती’ की एक खास बात ये थी की फ़िल्म में वर्तमान और इतिहास को रिलेट करके पर्दे में उतारा गया था. ऐसा ही प्रयोग ‘एक योद्धा शूरवीर’ में किया गया है. फ़िल्म में इतिहास और वर्तमान को रिलेट करते हुए बहुत सारी पते की बातों की पोटली समाज के सामने रखने की कोशिश की गयी है. संतोष सिवान ने इसके पहले भी भारतीय इतिहास को शाहरुख को लेकर ‘अशोका’

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फिल्म समीक्षा : लवशुदा

जहां एक ओर बॉलीवुड में विश्व स्तरीय फिल्में बनाने की होड़ पिछले एक दशक से चल रही है और बॉलीवुड अपनी इस मुहिम में बहुत हद तक सफल भी हुआ है. वहीं कुछ ऐसी फिल्में भी बीच-बीच में आती रहती हैं जो भारतीय दर्शकों के दिलो-दिमाग में रची बसी संवेदनाओं और भावनाओं का अच्छे से उकेरने में सफल होती हैं. जिसका उदाहरण पिछले दिनों आई फिल्में ‘सनम रे’ और ‘सनम तेरी कसम’ है पर कुछ फिल्म मेकर और बॉलीवुड एक्टर्स

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