भारत ने ढूंढ निकाला खतरनाक जीका वायरस का टीका!
एक भारतीय कंपनी ने दावा किया है कि अबी तक लाइलाज माने जाने वाले खतरनाक जीका वायरस का वैक्सीन उन्होंने तैयार कर लिया है. मच्छर से होने वाली इस बीमारी का खौफ इस कदर बढ़ गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे लेकर इमरजेंसी भी घोषित कर दी है.
हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटैक का कहना है कि एक साल की रिसर्च के बाद उन्होंने दो वैक्सीन तैयार की है. कंपनी के प्रबंध निदेशक कृष्णा इला के मुताबित हम संभवत: इसका वैक्सीन तैयार करने वाले दुनिया में पहले हैं. हम जल्द ही इसके पैटेंट संबंधी घोषणा करेंगे. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिर्स ने इस काम में मदद का हाथ बढ़ाया है. प्रबंध निदेशक के अनुसार दो वैक्सीन में से एक पशुओं पर ट्रायल के स्तर तक पहुंच चुकी है.
अगर सब कुछ ठीक रहा तो कंपनी चार महीने में वैक्सीन के दस लाख डोज बना सकती है. कृष्णा इला का कहा है कि भारत को इसका इस्तेमाल उन देशों की मदद में करना चाहिए, जिन्हें इस वैक्सीन की सख्त जरूरत है और इसके लिए वह प्रधानमंत्री मोदी का दखल चाहते हैं.
यौन संक्रमण से जीका का पहला मामला
अमरीका के टेक्सास में जीका वायरस से पीडि़त एक मरीज मिला है. इस मरीज में यौन संबंधों के कारण संक्रमण की पुष्टि हुई है. इस बीमारी के तेजी से फैलने की आशंका प्रबल हो गई है.
चिकनगुनिया और डेंगू के मच्छरों से फैल रहा है जीका वायरस
जीका वायरस के फैलने की वजह एडीस ऐजिप्टी मच्छर को बताया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि यह वही मच्छर है, जिसके काटने से यलो फीवरए डेंगू और चिकनगुनिया जैसे भयावह रोग फैलते हैं. जीका वायरस के चलते बच्चे छोटे सिर (माइक्रोसेफैली) के साथ पैदा होते है. उनका ब्रेन पूरी तरह डवलप नहीं हो पाता है. इस तरह का पहला मामला 1947 में अफ्रीकी देश युगांडा में सामने आए था परन्तु हाल के दिनों में यह महामारी बनकर उभरा है.
ब्राजील में महिलाओं ने मांगी अबॉर्शन की इजाजत
गर्भवती महिलाओं पर जीका वायरस के प्रभाव को देखते हुए ब्राजील के वकीलए एक्टिविस्ट्स और साइंस्टिस्ट्स के ग्रुप ने सरकार से अबॉर्शन की परमिशन देने की अपील की है. फिलहाल सिर्फ इमरजेंसी तथा रेप केसेज में ही अबॉर्शन की इजाजत दी गई है. परन्तु जीका वायरस के दुष्प्रभाव को देखते हुए ग्रुप अबॉर्शन की इजाजत देने की मांग की जा रही है.
एक्टिविस्ट्स तथा वैज्ञानिकों के अनुसार यदि ऐसा नहीं किया गया तो ब्राजील की आने वाली पूरी एक पीढ़ी मानसिक तथा शारीरिक रूप से विकलांग हो जाएगी. इस भयावह स्थिति को देखते हुए ही यह मांग उठाई जा रही है.