ये फिल्मी रोमांस है, असल जिंदगी में करोगे तो पछताओगे !

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जब किसी फिल्म में हम रोमांटिक सीन देखते हैं तो ऐसी फील आती है कि यार बस जिंदगी का मजा तो इन्हीं चीजों में है. और मैं भी अपनी गर्लफ्रेंड या बीवी या पति के साथ कुछ यूं मजा लूटूंगा या लूटूंगी. लेकिन आपको बता दें कि असल जिदंगी में ऐसा कम ही होता है.

यकीन न हो तो ये पढ़िए…

1. खेत में रोमांस मतलब सांप-बिच्छु का खतरा

‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ का वो यादगार सीन याद है, जब शाहरुख़ और काजोल एक दूसरे की बाहों में खो जाते हैं? यार, असल ज़िन्दगी खेतों में प्यार करने का मतलब है कि हज़ारों-लाखों कीड़ों से रूबरू होना. और तो और, अगर दोनों में से किसी एक को एलर्जी है तो रोमांस सरदर्द बन जायेगा.

 

2. शावर सेक्स- मज़ा कम, सज़ा ज़्यादा

फ़िल्मों में कई बार ऐसे सीन दिखाए जाते हैं जब हीरो-हीरोइन शावर में रोमांस और प्यार कर रहे होते हैं. असल ज़िन्दगी में ऐसा करना बहुत दुखदायी होता है यार! पहली टेंशन- साथ नहा रहे हो, तो साबुन लगाना चाहिए या नहीं? दूसरी टेंशन- आंखों और मुंह में पानी चला जाए तो क्या करें? तीसरी टेंशन- अगर ठंड लगने लगे तो क्या रोमांस बीच में रोकना अच्छा आईडिया है? तो यार इतनी टेंशन के बाद, कहां से होगा प्यार!?

 

3. बस एक टच से परमआनंद की प्राप्ति नहीं होती है

एक राज़ की बात आपको बताता हूं. पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं को Orgasm तक पहुंचने में ज़्यादा समय लगता है. इसलिए जैसा फ़िल्मों में दिखाया जाता है कि पहली रात में ही या अपने प्रेमी का पहला टच ही प्रेमिका को स्वर्ग जैसा आनंद देता है, ये बिलकुल गलत है. सच्चाई ये है कि अपने पार्टनर को Orgasm का आनंद दिलाने के लिए आपको बहुत मेहनत करनी पड़ेगी. और अगर आपकी पार्टनर हर समय कामोन्माद तक पहुंचती है तो वो झूठ बोल रही है!

4. ऑफ़िस में सेक्स करोगे तो नौकरी और छोकरी से हाथ धो बैठोगे

ये बॉलीवुड और हॉलीवुड वाले न जाने किस ऑफ़िस की कल्पना करते हैं, जहां सहकर्मी ऑफ़िस में ही सेक्स करने के लिए तैयार हो जाते हैं और उन्हें मुनासिब जगह भी मिल जाती है. पहली बात तो, ऑफ़िस में ठरक मिटाना खतरे से खाली नहीं है. दूसरी बात, किसके ऑफ़िस में ऐसे खुले विचारों वाले सहकर्मी होते हैं, जो किसी भी समय सेक्स करने के लिए तैयार हो जाएं. बकवास!

 

5. बर्फ़ की क्यूब से बस सर्दी लग सकती है

उत्तेजना की तपन में जलते दो शरीरों पर जब ठंडी बर्फ़ की क्यूब का एहसास होता है, तो दिल से आवाज़ निकलती है… अबे पागल है क्या!!! फ़िल्मों में दिखाए जाने वाले रोमांस में जब भी बर्फ़ की क्यूब का इस्तेमाल होता है, तब दोनों एक दूसरे को उत्तेजित करने की कोशिश कर रहे होते हैं. असल ज़िन्दगी में ऐसा करने से आपको बस सर्दी लग सकती है और कुछ नहीं.

 

6. बेचारी जीभ एक हद तक ही सेह सकती है

फ़िल्मों में दिखाए जाने वाले चुंबन बहुत लम्बे होते हैं. हॉलीवुड फ़िल्म ‘Blue Is The Warmest Color’ में करीब 20 मिनट का किस सीन है. बेचारी जीभ के बारे में कुछ तो सोचो! उसे भी बीच में आराम की ज़रुरत पड़ सकती है. आप तो अपनी उत्तेजना में लगे रहोगे, लेकिन बेचारी जीभ का क्या? इसीलिए असल ज़िन्दगी में किस इतने लम्बे नहीं होते यार.

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