अमूल ने दूध की कीमत में 2 रुपये बढ़ोतरी की, नई कीमतें 1 मई से लागू

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अमूल ने दूध की कीमत में 2 रुपये बढ़ोतरी की, नई कीमतें 1 मई से लागू

अमूल के दूध की नई कीमतें और बढ़ोतरी के कारण

गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF), जो अमूल ब्रांड के तहत दुग्ध उत्पाद बेचता है, ने 1 मई 2025 से लेटर‑दर 2 रुपये की कीमत वृद्धि का एलान किया। यह बढ़ोतरी जून 2024 के बाद पहली है और सभी दूध वेरिएंट पर समान रूप से लागू होगी। फेडरेशन ने बताया कि यह कदम उत्पादन में बढ़ते इनपुट खर्च को कवर करने के लिए जरूरी था, जिससे 36 लाख किसानों की लागत में इज़ाफ़ा हुआ है।

कुल मिलाकर यह 3‑4% का बढ़ाव है, जो खाद्य महँगाई की औसत दर से नीचे है, लेकिन फिर भी उपभोक्ताओं की जेब पर असर पड़ेगा। नई कीमतें इस प्रकार हैं:

  • अमूल गोल्ड (500 ml) – ₹34
  • अमूल गोल्ड (1 लीटर) – ₹67
  • अमूल शाक्ति (500 ml) – ₹31
  • अमूल काउ मिल्क (500 ml) – ₹29
  • अमूल बफ़ेलो मिल्क – ₹73 प्रति लीटर
  • अमूल ताज़ा – ₹55 प्रति लीटर

उपर्युक्त कीमतों के साथ अमूल स्टैण्डर्ड, स्लिम‑एन‑ट्रिम, चाय मज़्ज़ा आदि वेरिएंट भी बढ़ोतरी को अपनाएंगे। सभी खुदरा दुकानों में नई कीमतें 1 मई से दिखाई देंगी।

उपभोक्ताओं और किसान पर असर, और आगे की संभावनाएं

उपभोक्ताओं और किसान पर असर, और आगे की संभावनाएं

इस कीमत बढ़ोतरी का असर दो तरफ़ा है। एक तरफ़ किसानों को बेहतर मार्जिन मिलेगा, जिससे उनकी आय में स्थिरता आएगी। दूसरी तरफ़ उपभोक्ताओं को थोड़ा अधिक खर्च करना पड़ेगा, खासकर उन परिवारों के लिए जिनका बजट पहले से ही सीमित है। इस बीच, माँटर डैरी ने भी लीटर‑दर 2 रुपये की बढ़ोतरी की घोषणा की, जिसका कारण दिल्ली‑एनसीआर में चल रहा तीव्र गर्मी का असर बताया गया। दोनों प्रमुख ब्रांडों ने साथ‑साथ कीमतें बढ़ा कर बाजार में लागत‑प्रेशर को उजागर किया।

भविष्य में कुछ राहत की उम्मीद भी है। 22 सितंबर 2025 से पैकेज्ड दूध पर 5% जीएसटी छूट दी जाएगी, जैसा कि जीएसटी काउंसिल ने निर्णय लिया है। लेकिन इस छूट का लाभ मुख्यतः अल्ट्रा‑हाई‑टेम्परेचर (UHT) दूध को मिलेगा, क्योंकि फ्रेश पॉच दूध पर पहले से ही जीएसटी शून्य है। GCMMF के प्रबंध निदेशक जयेंट मेहता का मानना है कि यह कदम ताज़ा दूध की कीमतों को बहुत अधिक नीचे नहीं लाएगा, पर यूएचटी उत्पादकों को थोड़ी राहत मिल सकती है।

ऐसे में, अमूल दूध कीमत में हुए बदलाव को देखते हुए, उपभोक्ताओं को नई कीमतों के अनुसार बजट बनाना होगा और दीर्घकालिक रूप से किसान‑उपभोक्ता संतुलन पर नजर रखनी होगी।

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