दुग्ध उद्योग की नई खबरें – कीमतें, ब्रांड और किसान कीस्थिति

दूध पीते‑पीते अपनी जड़ी‑बूटी की कहानियों से हम सब मज़े लेते हैं, पर जब दूध की कीमत बदलती है तो हमारी जेब पर सीधा असर पड़ता है। आज हम दुग्ध उद्योग में क्या चल रहा है, खासकर अमूल की नई कीमतों को देखेंगे और समझेंगे कि ये बदलाव किसान और आम ग्राहक को कैसे प्रभावित करेंगे।

अमूल ने दूध की कीमत में 2 रुपये बढ़ोतरी की

अमूल ने 1 मई 2025 से अपने सभी दूध वाले वैरिएंट की लिटर‑दर‑लीटर कीमत में 2 रुपये का इज़ाफ़ा किया। इसका मतलब है गोल्ड अब 67 रुपये, ताज़ा 55 रुपये और बफ़ेलो 73 रुपये हो गया। यह जाँच‑परख के बाद का पहला बड़ा बदलाव है, जो जून 2024 के बाद देखने को मिला। बढ़ोतरी लगभग 3‑4% है, यानी महँगाई से कम, पर 36 लाख किसानों की लागत बढ़ने के कारण इसे ज़रूरी माना गया।

क्या यह सबके लिए फेयर है?

जैसे ही कीमतें बढ़ती हैं, किसान के हाथ में मिलने वाले मार्जिन पर असर पड़ता है। अमूल जैसे बड़े ब्रांड की कीमत बढ़ाने से छोटे डेयरी फॉर्मर्स को भी प्राइसिंग में फुर्सत मिलती है। पर बहुत से लोगों को लगता है कि वह बढ़ी हुई कीमत रोज़मर्रा की चीज़ों पर भारी पड़ती है। अभी की स्थिति में, माँटर डैरी ने भी समान कदम उठाया है, तो यह देखना बाकी है कि बाजार में कितनी प्रतिस्पर्धा बनी रहेगी।

दूसरी ओर, सरकार ने सितंबर में पैकेज्ड दूध पर जीएसटी में छूट का ऐलान किया है। इसका मतलब है यूएचटी (उपभोग‑हस्त‑टेस्ट) दूध की कीमत थोड़ी कम हो सकती है। यदि GST‑छूट प्रभावी हो जाए तो उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिल सकती है, पर यह राहत कब तक टिकेगी, इसका अंदाज़ा अभी नहीं लगाया जा सकता।

दुग्ध उद्योग में मिल्क‑पावडर, दही, पनीर और फुल‑फैट दूध जैसी विविधता भी है। छोटे पैमाने पर चलने वाले डेयरी यूनिट्स अक्सर स्थानीय कच्चे दूध पर निर्भर होते हैं और वे कीमत में उतार‑चढ़ाव को जल्दी महसूस करते हैं। इन फर्मों को नई कीमतों की जानकारी मिलते ही उन्हें अपनी लागत‑आधारित प्राइसिंग को फिर से देखना पड़ता है।

यदि आप खुद डेयरी फॉर्मर हैं, तो कुछ चीज़ें हैं जो मददगार हो सकती हैं:

  • स्थानीय मर्चेंट्स के साथ लम्बी अवधि के कॉन्ट्रैक्ट बनाएं, जिससे कीमत में स्थिरता बनी रहे।
  • फार्म में फ़ीड की लागत कम करने के लिए बैचलर या सॉफ्ट नेरस्टेड ग्रासज का प्रयोग करें।
  • उच्चतम कलोरेशन वाले दूध को प्रीमियम प्रोडक्ट जैसे बफ़ेलो दूध या पनीर में बदलें, जिससे मार्जिन बढ़े।

उपभोक्ता के लिये भी कुछ टिप्स हैं:

  • स्थानीय ब्रांड्स के साथ प्रयोग करें, क्योंकि अक्सर वे किफायती होते हैं और ताज़ा दूध देते हैं।
  • यदि आप बड़े पैमाने पर दूध खरीदते हैं, तो थोक‑डील्स या सप्लायर से सीधी खरीदारी पर विचार कर सकते हैं।
  • ज्यादा महंगे प्रीमियम ब्रांड की बजाय दो‑तीन महीने में एक बार सस्ता लेबल चुनें, इससे खर्च नियंत्रित रहेगा।

दुग्ध उद्योग लगातार बदल रहा है, और कीमतें सिर्फ एक पक्ष हैं। इस उद्योग में नवाचार, नई पैकेजिंग तकनीक और बेहतर वितरण नेटवर्क भी भूमिका निभा रहे हैं। जैसे-जैसे सप्लाई चेन डिजिटल हो रही है, किसान सीधे उपभोक्ता तक पहुंच सकते हैं, जिससे मध्यस्थों के काटे को कम किया जा सकता है। यह बदलाव धीरे‑धीरे कीमतों को भी स्थिर रखेगा, लेकिन अभी के लिए हमें छोटे‑छोटे बदलावों पर ध्यान देना चाहिए।

तो अब आप जानते हैं कि अमूल की नई कीमतों का क्या असर है, सरकार का GST छूट कैसे मदद कर सकता है और किसान तथा उपभोक्ता दोनों को क्या करना चाहिए। दुग्ध उद्योग में आगे भी ऐसे कई बदलाव आने वाले हैं – बस अपडेट रहिए और अपनी पसंद के अनुसार समझदारी से चुनिए।

अमूल ने दूध की कीमत में 2 रुपये बढ़ोतरी की, नई कीमतें 1 मई से लागू