यूपी सिडको ने शासन के स्पष्ट आदेश की उल्लंघन करते हुए 62 खाली पदों की भर्ती शुरू कर दी — लेकिन इसके पीछे करोड़ों रुपये का कमीशन फेर छिपा था। विशेष सचिव धीरज कुमार ने तत्काल रद्द कर दिया और प्रबंध निदेशक जेपी चौरसिया से तुरंत जवाब मांगा। यह केवल एक भर्ती की गलती नहीं, बल्कि एक व्यवस्थित अवैध अनुशासन उल्लंघन है।
नियमों का खुलासा: पैनल के बाहर की फर्म को क्यों दी गई जिम्मेदारी?
यूपी सिडको ने भर्ती का काम एक ऐसी फर्म को सौंप दिया, जो राज्य के नियोजन विभाग के अनुमोदित पैनल में शामिल नहीं थी। नियम क्या कहते हैं? समूह 'ख' और 'ग' की भर्तियां केवल उन्हीं एजेंसियों के माध्यम से की जानी चाहिए, जिनका नियोजन विभाग ने पहले से अनुमोदन किया हो। लेकिन यूपी सिडको ने इस नियम को चौपट कर दिया। क्यों? जवाब सामने आया — एक बड़ी रिश्वत की योजना। जिन वरिष्ठ अभियंताओं को इस भर्ती में हाथ लगने का शक है, उनमें से कुछ पहले भी भ्रष्टाचार के मामलों में शामिल रहे हैं।
761 पदों में से सिर्फ 140 अधिकारी: बर्बाद बुनियादी ढांचा
यूपी सिडको के 761 स्वीकृत पदों में से वर्तमान में केवल 140 अधिकारी कार्यरत हैं। यानी लगभग 81% पद खाली हैं। समूह 'ख' के 135 पदों में से सिर्फ 25 ही भरे हुए हैं। इसका मतलब क्या है? अनुसूचित जाति और जनजाति के गांवों में बन रहे विद्यालय, छात्रावास, स्वास्थ्य केंद्र — सब ठहर गए हैं। यह कोई अनियमितता नहीं, बल्कि एक जानबूझकर की गई नजरअंदाजी है।
कैबिनेट का बदला रास्ता: लोक सेवा आयोग को सौंपे गए अधिकार
इसी बीच, योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने गुरुवार को यूपी सिडको के समूह-ख के पदों पर भर्ती का जिम्मा लोक सेवा आयोग प्रयागराज को सौंप दिया। यह एक स्पष्ट संकेत है — सरकार अब भर्ती में राज्य के नियमों का पालन करना चाहती है। जिस तरह से यूपी सिडको ने इसे अनदेखा किया, उसके बाद लोक सेवा आयोग को भर्ती का अधिकार देना एक रणनीतिक चाल है। अब कोई फर्म, कोई अधिकारी, कोई भी रिश्वत का खेल नहीं खेल सकता।
क्या यह बस एक भर्ती का मामला है?
नहीं। यह एक निर्माण और सामाजिक न्याय का मामला है। यूपी सिडको का काम सिर्फ भवन बनाना नहीं, बल्कि गरीबों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य का दरवाजा खोलना है। जब छात्रावासों का निर्माण धीमा पड़ जाता है, तो अनुसूचित जाति के बच्चे अपने गांव में ही फंस जाते हैं। यूपी सिडको के अध्यक्ष वाई पी सिंह ने हाल ही में बुलंदशहर में एक छात्रावास का निरीक्षण किया और ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करने का आदेश दिया। लेकिन अगर खुद कॉर्पोरेशन के अंदर ही भर्ती घोटाला हो रहा है, तो ठेकेदारों को दोष देना कितना न्यायसंगत होगा?
भर्ती का असली टाइमलाइन: क्या हुआ और क्या अब होगा?
- 2024 में: यूपी सिडको में 761 पदों में से 140 ही भरे।
- अप्रैल 2025: यूपी सिडको ने 62 पदों की भर्ती शुरू की — पैनल फर्म के बिना।
- मई 2025 (2 तारीख): जूनियर इंजीनियर भर्ती के लिए आवेदन की अंतिम तिथि।
- 5 मई 2025: विशेष सचिव धीरज कुमार ने भर्ती रद्द की।
- अगले 7 दिन: जेपी चौरसिया को रिपोर्ट देनी है।
- अगले 30 दिन: लोक सेवा आयोग प्रयागराज नई भर्ती शुरू करेगा।
अगला कदम: क्या जांच होगी?
अब सवाल यह है कि क्या सिर्फ भर्ती रद्द हो जाएगी या एक गहन जांच भी शुरू होगी? अगर यह केवल एक भ्रष्टाचार का छोटा मामला होता, तो सरकार इतनी तेजी से कार्रवाई नहीं करती। यह एक संकेत है — शासन अब उन लोगों को भी नहीं छोड़ेगा, जो आंतरिक नियमों को तोड़कर रिश्वत लेते हैं। यूपी सिडको के अंदर किसी भी अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू हो सकती है। यहां तक कि उन फर्मों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है, जिन्होंने अवैध भर्ती में हाथ डाला।
क्यों यह सब आम नागरिक के लिए मायने रखता है?
क्योंकि यूपी सिडको का काम आपके बच्चे के स्कूल का निर्माण हो सकता है। या आपके गांव का छात्रावास। या आपके बुजुर्ग के लिए बन रहा स्वास्थ्य केंद्र। जब ये निर्माण ठहर जाते हैं, तो लोगों की जिंदगी ठहर जाती है। इस भर्ती घोटाले का असर सिर्फ एक नौकरी तक नहीं, बल्कि समाज के विकास के आधार तक पहुंचता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
यूपी सिडको में कितने पद खाली हैं और क्या असर हो रहा है?
यूपी सिडको में कुल 761 स्वीकृत पदों में से केवल 140 अधिकारी कार्यरत हैं। समूह 'ख' के 135 पदों में से सिर्फ 25 ही भरे हुए हैं। इसका असर अनुसूचित जाति और जनजाति के गांवों में बन रहे विद्यालयों, छात्रावासों और स्वास्थ्य केंद्रों पर पड़ रहा है — निर्माण धीमा पड़ गया है, और हजारों बच्चों को शिक्षा का अधिकार नहीं मिल पा रहा।
क्यों लोक सेवा आयोग प्रयागराज को भर्ती का जिम्मा दिया गया?
यूपी सिडको के अंदर भर्ती में नियमों का उल्लंघन हो रहा था। लोक सेवा आयोग प्रयागराज को भर्ती का जिम्मा देकर सरकार ने एक निष्पक्ष, पारदर्शी प्रक्रिया शुरू की है। यह आयोग राज्य के नियमों के अनुसार ही भर्ती करता है, जिससे किसी भी रिश्वत या अनियमितता का रास्ता बंद हो जाता है।
क्या जेपी चौरसिया के खिलाफ कार्रवाई होगी?
हां। विशेष सचिव धीरज कुमार ने उनसे तुरंत रिपोर्ट मांगी है। अगर उनकी रिपोर्ट में नियमों का जानबूझकर उल्लंघन पाया जाता है, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई और भ्रष्टाचार जांच शुरू हो सकती है। यह अभी तक एक अनुमान है, लेकिन सरकार का संकेत स्पष्ट है — कोई भी नहीं बचेगा।
क्या यह घोटाला सिर्फ यूपी सिडको तक सीमित है?
नहीं। इस तरह के भ्रष्टाचार के मामले उत्तर प्रदेश के कई अन्य निर्माण एजेंसियों में भी देखे गए हैं। लेकिन इस बार सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह अब अनुमत नहीं होगा। यूपी सिडको का यह मामला एक उदाहरण बन सकता है — जिससे अन्य एजेंसियों को सबक सिखाया जाएगा।
अगली भर्ती कब शुरू होगी और कैसे होगी?
लोक सेवा आयोग प्रयागराज अगले 30 दिनों में नई भर्ती की घोषणा करेगा। आवेदन ऑनलाइन होंगे, लिखित परीक्षा और साक्षात्कार का प्रक्रम अनुसूचित जाति और जनजाति के उम्मीदवारों के लिए छूट के साथ होगा। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन ट्रैक की जा सकेगी — इससे रिश्वत का रास्ता बंद हो जाएगा।
क्या यूपी सिडको की भर्ती रद्द होने से निर्माण कार्य ठहर जाएंगे?
नहीं। अभी जो काम चल रहा है, वह जारी रहेगा। नए अधिकारी आने तक वर्तमान कर्मचारी ही देखभाल करेंगे। लेकिन अगर अगले 90 दिनों में नई भर्ती नहीं हुई, तो निर्माण कार्यों को और अधिक देरी हो सकती है। इसलिए लोक सेवा आयोग की तेजी से कार्रवाई जरूरी है।