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लंच के लिए भेजी गई बकरी से की ‘शिकारी’ बाघ ने दोस्ती

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अक्सर हम कहते हैं कि घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खायेगा क्या लेकिन रूस में साइबेरिया के एक बाघ ने इस कहावत के विपरीत अपने शिकार से ही दोस्ती कर ली. पूर्वी रूस के श्कोतोवस्की सफारी पार्क के बाघ \’आमुर\’ ने शिकार बनने वाली बकरी की न सिर्फ जान बख्शी बल्कि उसे अपने घर में भी जगह देकर पार्क के कर्मियों को चौंका दिया.

एक ब्रिटिश अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार पार्क प्रशाासन सप्ताह में दो दिन बाघों को जिंदा शिकार उपलब्ध कराता है और बाघ से दोस्ती गांठने वाली इस बकरी को भी बाघ का भोजन बनने के लिए भेजा गया था. आमूर को बकरियों और खरगोशों का शिकार करना अच्छी तरह आता है. पार्क के कर्मचारी लेकिन उस वक्त चौंक गये, जब उन्होंने देखा कि शिकार बनने वाली बकरी अपने संभावित शिकार से बिल्कुल भयभीत नहीं है.

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बकरी ने पहले बाघ को घूरा और चुपचाप उसकी जगह पर रहने लगी. बकरी की बहादुरी को देखते हुए कर्मचारियों ने उसे \’तैमूर\’ नाम दिया है. तैमूर का अर्थ होता है ‘लोहा’. पार्क में लगे कैमरों में कैद तस्वीरों में बकरी को बाघ के पीछे चलते और उसकी मांद में सोते देखा जा सकता है जबकि बाघ को अपनी मांद के ऊपर रातें गुजारनी पड़ रही हैं. कर्मचारियों के मुताबिक बाघ को एक आज्ञाकारी की तरह बकरी के साथ घूमते देखा जा सकता है.

संभवत बकरी का सामना आज तक किसी बाघ से नहीं हुआ इसी कारण वह बाघ को बस नया जीव मानकर उससे डर नहीं रही है. अब वे दोनों हर दिन साथ-साथ घूमते हैं और संभवत तैमूर ने आमूर को अपना नेता मान लिया है जबकि देखने पर ऐसा लगता है कि बकरी ही इस दोस्ती को आगे ले जा रही है.

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