महाभारत में इन राजकुमारियों को बनाना पड़ा अनैतिक संबंध!
महाभारत में ऐसे कई प्रसंग मिल जाएंगे जब किसी राजकुमारी या महारानी को अपने वंश की रेखा को आगे बढ़ाने के लिए पति को छोड़, किसी अन्य पुरुष के बच्चों की माँ बनना पड़ा. आगे चलकर इन राजकुमारियों से उत्पन्न ये बच्चें पूरे महाभारत को ही बदल कर रख दिया या यूँ कहें, ये बच्चे महाभारत के मुख्य पात्र बनें. आइए आज महाभारत के उन राजकुमारियों और पटरानियों को याद करते हैं जिन्होंने अपने पति के होने किसी अन्य पुरुष के बच्चे की माँ बनी.
सत्यवती- महाभारत में एक प्रमुख पात्र हैं मत्स्यगंधा, जो बाद में सत्यवती के नाम से जानी गई. सत्यवती बहुत सुन्दर थी, इसी कारण शांतनु उनके रूप पर मोहित हो गए और विवाह कर लिया. विवाह के पश्चात दो पुत्र हुए चित्रांगद और विचित्रवीर्य. सत्यवती के पास एक तीसरा पुत्र भी था जिनका नाम व्यास था. जो बाद में महर्षि व्यास के नाम से जाने गए. सत्यवती ने व्यास को तब जन्म दिया जब वह कुमारी थी. महर्षि व्यास के पिता का नाम ऋषि पराशर था.
अंबिका और अंबालिका- युवा अवस्था में चित्रांगद और विचित्रवीर्य का विवाह अंबिका और अंबालिका से हुआ, परन्तु विवाह के कुछ ही दिनों बाद चित्रांगद और विचित्रवीर्य की मृत्यु हो गई. भीष्म ने आजीवन विवाह नहीं करने की प्रतिज्ञा की थी. अपनी वंश-रेखा को मिटते देख सत्यवती ने इन दोनों राजकुमारियों को अपने तीसरे पुत्र व्यास से संतान उत्पन्न करने के लिए कहा. सत्यवती की आज्ञा से इन दोनों राजकुमारियों ने महर्षि व्यास से गर्भ धारण किया जिससे धृतराष्ट्र और पाण्डु का जन्म हुआ.
कुंती-इस कड़ी में अब बारी है राजकुमारी कुंती की जो बाद में महाराज पांडु की पत्नी और कुरूवंश की महारानी बनी. एक ऋषि के शाप से पांडु की कोई संतान नहीं थी. तब पांडु की आज्ञा से कुंती ने, पवनदेव और इंद्र से गर्भ धारण किया और तीन पुत्रों को जन्म दिया जो युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन कहलाए.
मादरी -पांड़ु की एक अन्य पत्नी थी मादरी. पांड़ु की आज्ञा से इन्होंने अश्विनी कुमारों का आह्वान किया और उनसे नकुल और सहदेव को जन्म दिया.
महाभारत में एक महाज्ञानी व्यक्ति का नाम था विदुर. उनकी माता राजमहल में दासी थी. महर्षि व्यास ने सत्यवती से जब कहा कि एक राजकुमारी का पुत्र अंधा और दूसरी राजकुमारी का पुत्र रोगी होगा तो सत्यवती ने व्यास से एक बार और राजकुमारियों को व्यास के पास भेजना चाहा, लेकिन राजकुमारियां डर गई थी इसलिए उन्होंने अपनी दासी को व्यास के पास भेज दिया. दासी ने व्यास से गर्भधारण किया जिससे स्वस्थ और ज्ञानी पुत्र विदुर का जन्म हुआ.