यहां जानवरों की कब्र पर लगती है Name Plate

  • Tweet
  • Share
  • Reddit
  • +1
  • Pocket
  • LinkedIn 0

पूरी दुनिया में ‘मोक्षस्थली’ के नाम से प्रसिद्ध गया में कहा जाता है कि पिंडदान करने से पुरखों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, परंतु गया में न केवल पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए पिंडदान किया जाता है, बल्कि यहां एक स्थान ऐसा भी है जहां लावारिस कुत्तों सहित अन्य जानवरों के मरने के बाद न केवल उनका नामकरण किया जाता है. साथ ही उसे इज्जत के साथ कब्रिस्तान में दफनाया भी जाता है. कब्र पर जानवर के नाम की नेमप्लेट और फोटो भी लगाई जाती है.
भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया में इतालवी मूल की महिला एड्रिआना फेरेंटी ने जानवरों से प्रेम की अनोखी मिसाल पेश की है. पिछले करीब 30 साल में 550 से अधिक मृत जानवरों को वह कब्रिस्तान में दफना चुकी हैं. वह जब कभी बोधगया की सड़कों पर घूमने निकलती हैं तो सड़कों के किनारे पड़े लावारिस एवं घायल कुत्तों, बकरियों, मुर्गों आदि जानवरों को देखकर बहुत दुखी हो जाती हैं.

वह कहती हैं कि ये जानवर अगर इंसान होते तो अपनी परेशानियों और दुखों को बता सकते थे. लेकिन ये बेजुबान हैं, इसलिए अपनी तकलीफ और पीड़ा किसी से कह नहीं सकते. जानवरों की पीड़ा से भावुक होकर एड्रिआना उन सारे जानवरों को ले आती हैं और उनका टीकाकरण सहित उचित उपचार कर उन्हें अपने पास रख लेती हैं.
एड्रिआना ने बताया कि वर्तमान समय में उनके पास 120 से ज्यादा कुत्ते, 50 बकरियां, मुर्गे, खरगोश, गाय, मछली आदि हैं. इन्हें सुबह और शाम दो वक्त का खाना और रहने की व्यवस्था की गई है.

बौद्ध धर्म अपना चुकीं एड्रिआना कहती हैं कि वे ऐसे जानवरों के मर जाने के बाद उन्हें बौद्ध परंपरा के अनुसार दफना देती हैं, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके. इसी सोच को लेकर वह जानवरों का कब्रिस्तान बना चुकी हैं. इस कब्रिस्तान में अब तक 500 जानवरों को दफनाया जा चुका है. वह कहती हैं कि मृत जानवरों की कब्र के ऊपर उनकी फोटो, नाम, मरने की तिथि अंकित की जाती है. एड्रिआना करीब 30 सालों से इसी तरह मृत जानवरों को दफनाती आ रही हैं

  • Tweet
  • Share
  • Reddit
  • +1
  • Pocket
  • LinkedIn 0

Facebook

Get the Facebook Likebox Slider Pro for WordPress