फिल्म समीक्षा: एक्स मेन-अपॉक्लिप्स

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सर्वजीत सिंह चौहान

एक्स मेन सीरीज की नौवीं किश्त है एक्स मेन -अपॉक्लिप्स. सटैन ली अद्भुत रचयिता हैं. डायरेक्शन ब्रायन सिंगर का है.विश्व में सभ्यता की शुरुआत से ही एक म्यूटैंट उपस्थित था.नाम था अपॉक्लिप्स.ये मयूटैंट भगवान की तरह पूजा जाता था क्योंकि लोगों में उसका डर था.पर कुछलोगों के विद्रोह का शिकार होकर वो हज़ारों साल की नूंद में चला जाता है और जब जागता है तो दुनिया आज में पहुँच चुकी होती है,सब कुछ बदल चुका होता है.अब दुनिया एक्स मेन की हो चुकी है.इंसान और म्यूटैंट साथ रहते हैं.प्रोफेसर एक्स म्यूटैंट के लिये स्पेशल स्कूल चलाते हैं.पर अचानक से एक्स मेन को अपॉक्लिप्स जैसे खतरे का पता चलता है और वो एकजुट होकर दुनिया पर मंडरा रहे इस खतरे से निपटने के लिये तैयार हो जाते हैं.उधर लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा अपॉक्लिप्स बागी म्यूटैंट को ज्यादा ताकतवर बना के अपने साथ जोड़ लेता है.उन बागी म्यूटैंट में एरिक भी है.एरिक अपने दोस्तों के खिलाफ जाकर दुनिया की बर्बादी में अपॉक्लिप्स का साथ देता है और ये सब एक खतरनाक जंग का रूप ले लेता है दुनिया बचाने और तबाह करने वालों के बीच.

कहानी,निर्देशन और स्पेशल इफेक्ट्स एक टाइम के बाद सामान्य लगते हैं.सब कुछ वैसा ही है जैसा हॉलीवुड की सुपर हीरोज वाली फिल्मों में होता है.किरदारों की अधिकता ने कहानी की लेन्थ बढ़ा दी है.ऐक्टिंग को बेस माने तो फिल्म प्रोफेसर एक्स बने जेम्स मैक्अवॉय की है.उन्होंने उम्दा ऐक्टिंग की है.उनके अलावा माइकल ने एरिक और जेनिफर लॉरेंस ने मिस्टीक के किरदारों के साथ न्याय किया है.इनके अलावा तेज रफ्तार म्यूटैंट बने लूकस ने अपने हिस्से की तालियां बटोरी हैं.

   क्यों देखें-

. मार्वल कॉमिक्स के दीवाने हैं तो उन सुपर हीरोज़ को महसूस करने के लिये.

. दमदार विलेन के हाथों दुनिया को खत्म होते देखने के लिये.

. मन से भी ज्यादा तेज रफ्तार म्यूटैंट की पावरफुल परफॉर्मेन्स के लिये.

. तेज रफ्तार म्यूटैंट का हर सीन बेहतर है.उसके पास पर्याप्त स्क्रीन टाइम है दर्शकों को रोमांच देने के लिये.

. वुल्वरीन(ह्यू जैकमैन) के आइटम नम्बर के लिये.कहने का मतलब ये है कि उनका दो मिनट का स्क्रीनटाइम और उनकी खतरनाक उपस्थिति दर्शकों से सीटियां बजवा देती है.

क्यों न देखें-

. पहले की फिल्मों की अपेक्षा डायरेक्शन कमजोर है.

. किरदारों की अधिकता कन्फ्यूजन पैदा करती है.हर 10 मिनट के अन्तराल में एक नया म्यूटैन्ट फिल्म पर बोझ की

  तरह आ चिपकता है.

. कई अलग अलग कहानियां एक साथ चलती हैं जिनको ठीक से ना जोड़ पाने की गलती के कारण कसाव ढीला हो गया      है.

. फिल्म को एक्स मेन समझकर देखें वुल्वरीन समझकर नहीं कयोंकि वुल्वरीन नदारद है.इसलिये जैकमैन के फैंस को

  निराशा ही मिलेगी.

. स्पेशल इफेक्ट सामान्य हैं.पुलों का टूटना और दुनिया का तबाह होना सब कुछ देखा देखा सा लगता है.

. मारकाट में पुनरावृत्ति है

. फिल्म में वो तेजी है ही नहीं जो एक्स मेन सीरीज की पहचान है.

 

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