सेक्स को लेकर होने वाले रिसर्च कितने सही होते हैं ?

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कई धर्म सेक्स के खुलेपन, सेक्स पर चर्चा और असामान्य सेक्स की इजाजत नहीं देते हैं. इस सबके बावजूद सेक्स के अच्छे और बुरे पक्ष को लेकर कई तरह के शोध हुए है. यह सारे शोध धर्म से उलट हैं. किसी भी तरह के शोध की विश्वसनीयता पर संदेह किए जाने की जरूरत है, क्योंकि हमने शराब, सेक्स और माँसाहार पर शोध पढ़े है और इन शोधों में विरोधाभास है. पुराना भ्रम यह था कि नियमित सेक्स से हृदय कमजोर होता है, लेकिन अब ताजा शोध कहता है कि नियमित सेक्स करने से व्यक्ति स्वस्थ्य बना रहता है. ऐसे में हम कौन से शोध की बात मानें?

बेस्ट सेक्स की अवधि : जो यह दावा करता है कि हमारा सेक्स 30-40 मिनट तक चलता है उसके दावे में सच्चाई नहीं. अमेरिका के पेन्सिलवेनिया स्थित बेहरेंड कॉलेज इन एरी के शोधकर्ताओं का मानना है कि कि आमतौर पर 3 मिनट का सेक्स पर्याप्त होता है और ज्यादा देर की बात करें तो 7 से 13 मिनट का समय सबसे अधिक डिजायरेबल होता है. लेकिन देशी, युनानी नुस्खे या स्टाप-स्टार्ट तकनीक की मानों तो 30-40 मिनट की बात भी सही हो सकती है.

सेक्स का कारण : टैक्सस विश्वविद्यालय के शोधकर्ता मानते हैं कि सेक्स के लिए प्रेरित होने के लगभग 239 कारण है. प्रेम का इजहार और लगाव जाहिर करना शुरुआती 10 कारणों में से एक है. तो क्या हम यह माने की प्रेम भी मूल में सेक्स ही है? शोधकर्ता मानते हैं कि स्त्रीयाँ किसी स्त्री या पति से बदला लेने के लिए भी संभोग करती है. इस इच्छा के चलते लीव इन रिलेशन शिप जैसे संबंध पनपने लगे हैं.

लेकिन एक दूसरा शोध कहता है कि सेक्स का कारण ऑक्सिटॉसिन हॉर्मोन्स है. यह हॉर्मोन्स प्रेम और सेक्स को बढ़ावा देता है. इसे ‘लव हॉर्मोन्स’ भी कहा जाता है. दरअसल उक्त शोध भी विरोधाभास ही बढ़ाता है.

सेक्स और भारतीय : सन 2007 में ड्यूरेक्स ग्लोबल सेक्सुअल वेलबींग द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में कहा गया है कि 61 प्रतिशत भारतीय अपने साथी के साथ यौन संबंधों से पूरी तरह संतुष्ट हैं जबकि नाइजीरियाई लोगों की संख्या 67 फीसदी और मेक्सिको के 63 प्रतिशत लोग सेक्स जीवन से संतुष्ट हैं. इस मामले में भारतीयों ने दुनियाभर में हुए शोध में तीसरे नंबर पर बाजी मारी है.

हालाँकि 2009 में हुआ एक सर्वे कहता है कि भारतीय अपनी सेक्स लाइफ से संतुष्ट नहीं हैं या कि सेक्स के प्रति उनमें अरुचि है, क्योंकि भारतीयों के लिए सेक्स अभी भी प्राथमिकताओं में बहुत नीचे हैं और भारतीय जोड़े सेक्स जैसे मुद्‍दों पर आपस में खुलकर बातचीत भी नहीं करते हैं.

ज्यादातर पुरुष पारिवारिक जीवन, माँ-पिता की भूमिका, करियर, आर्थिक सम्पन्नता, शारीरिक तौर पर बेहतरी को प्राथमिकताओं में ऊँचा स्थान देते हैं. पुरुषों की तरह से महिलाएँ भी सेक्स की तुलना में अन्य जिम्मेदारियों को अहम मानती हैं.

ड्रेस का फायदा : शोधानुसार जो लड़कियाँ दिखने में छरहरी और छोटे-छोटे ड्रेस पहनती थीं, वे सेक्सुअली काफी ऐक्टिव थी. सर्वे में शामिल 60 प्रतिशत महिलाएँ, जिनकी साइज 8 थी, ने कुछ दिन पहले ही सेक्स का आनंद उठाया था. जबकि बड़ी साइज वाली महिलाएँ लंबे समय से सेक्स से दूर थी. सर्वे में शामिल 50 फीसदी महिलाओं की साइज 12 थी और 33 फीसदी महिलाओं की 26 साइज थी.

शोधानुसार यूरोप में पतले होठों वाली महिलाओं को सेक्सी माना जाता है जबकि अफ्रीका में जिसके होठ मोटे हैं वे दिखने में सेक्सी लगती है. हाल ही में ताजा अध्ययन अनुसार लम्बी लड़कियाँ ज्यादा खुबसूरत होती है अब आप ही बताएँ कि यह कितनी बेतुकी बात है. क्या कम हाईट या सामान्य हाईट की सभी लड़कियाँ बदसूरत है?

मर्दों के मिजाज : ताजा अध्ययन से पता चला कि बिस्तर पर स्त्री और पुरुष बेहद अलग-अलग मानसिकता के होते हैं. एक पुरुष का शरीर यौन उत्तेजना महसूस करने पर हमेशा उसकी प्रतिक्रिया तेजी से देता है जबकि ऐसी त्वरित प्रतिक्रिया कुछ ही महिलाओं में होती है. शोध अनुसार कुछ महिलाएँ शारीरिक गतिविधियों के बावजूद उत्तेजित नहीं होती और कुछ गतिविधियों के बगैर ही उत्तेजित हो जाती हैं जबकि पुरुष मानसिक और शारीरिक प्रतिक्रियों में समान रूप से उत्तेजित पाए गए. इस शोध में दोनों के यौनांगों में खून के बहाव से मापी गई मानसिक प्रतिक्रियाओं से तुलना की गई थी.

डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने वर्ष 1969 से 2007 के बीच 2500 महिलाओं और 1900 पुरुषों को शामिल कर किए गए शोधों की श्रृंखलाओं को खंगालकर तथ्य जुटाए थे. (वेबदुनिया संदर्भ)

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