आपके हाथ में एप्पल का फोन है पर क्या आप ‘एलन ट्यूरिंग’ को जानते हैं?
मोबाइल फ़ोन की दुनिया में एक समय पर नोकिया एक बहुत बड़ा ब्रांड था. नोकिया की खासियत ये थी कि इसने भारत में हर आय वर्ग के व्यक्ति के लिए एक बेहतर मोबाइल उपलब्ध करवाया. भारत में एलीट क्लास में ब्लैकबेरी काफी लोकप्रिय हुआ. यह सूट-बूट पहने व्यक्तियों के हाथ में ही दिखाई देता था. पर धीरे-धीरे इसने बाज़ार में और सस्ते फोन उतारे और आमतौर पर भी हमें ब्लैकबेरी लोगों के पास दिखने लगे. आपको वो विज्ञापन “वी आर द ब्लैकबेरी बॉयज़” तो ज़रूर याद होगा. इस ऐड में आपको इस बात का पूरा उदाहरण मिल जाएगा कि किस तरह से ये आम लोगों के बीच फेमस हो गया.
एप्पल एक ऐसा ब्रांड था जिसने भारतीय बाज़ार में काफी समय पहले ही सेंध लगा ली थी पर आम लोगों तक इसकी पहुंच बहुत बाद में देखने को मिली है. और छोटे शहरों में तो आमतौर पर अभी भी लोग ज़्यादा ब्रांड कॉन्शियस नहीं हैं, ऐसे में एप्पल दिल्ली-मुंबई जैसे बड़ी मेट्रोपोलिटन सिटीज़ में बहुत आम होता दिख रहा है.
हम युवाओं में एप्पल का बहुत क्रेज़ है. हम सभी एप्पल के फोन के दीवाने हैं. हमारे किसी दोस्त के पास एप्पल होता है तो उसे पूरा फ्रेंड ग्रूप अपने से एक स्तर ऊपर देखता है. पर दोस्तों क्या आपको एप्पल के लोगो के पीछे की कहानी पता है? कभी सोचा है, कि एप्पल कंपनी ने अपना लोगो “एक खाये हुए सेब” के रूप में क्यों रखा? वैसे तो कंपनी की शुरुआत से इसके लोगो बदलते रहे हैं और इसके पीछे अलग-अलग तर्क दिए जाते हैं. पर एप्पल के प्रेसेंट लोगो के पीछे एक ऐसी कहानी छुपी हुई है जिसे अधिकतर एप्पल यूज़र्स नहीं जानते हैं. क्या आपने एलन ट्यूरिंग का नाम सुना है? नहीं न? तो आज सुन लीजिए. आंखें खुल जाएंगी आपकी. एलन ट्यूरिंग कम्प्यूटर के क्षेत्र का एक ऐसा अनसुना नाम है जिसे लोगों ने याद रखना ज़रूरी नहीं समझा और नई पीढ़ी भी इस नाम से अंजान है.
एलन मैथीसन ट्यूरिंग इंग्लैंड के एक कम्प्यूटर साइंटिस्ट और मैथेमैटीशियन थे. इन्होंने सेकेंड वर्ल्ड वॉर के समय जर्मन मशीन एनिग्मा के कोड को तोड़ने वाली “ट्यूरिंग मशीन” का आविष्कार किया. इसकी वजह से ब्रिटेन को लड़ाई में काफी मदद मिली. इनके साथ इतिहासकारों ने कभी अच्छा नहीं किया. आज जिस कम्प्यूटर का प्रयोग हम लोग कर रहे हैं उसकी नींव रखने का श्रेय एक तरह से ट्यूरिंग को ही जाना चाहिए. पर ऐसा देखा नहीं जाता.
ट्यूरिंग का जीवन बहुत सारी दिक्कतों से भरा हुआ रहा. वो होमोसेक्सुअल थे. उस समय होमोसेक्सुअलिटी को विश्व भर में अच्छा नहीं माना जाता था. एलन पर सरकार ने तरह-तरह से ज़ुल्म ढाए और उनको हॉर्मोन के इंजेक्शन लेने पर मजबूर किया गया. इससे उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ा. आखिरकार एक दिन वो अपने घर में मृत पाए गए. उनके शरीर के पास एक खाया हुआ सेब मिला.
कुछ लोगों का मानना है कि एप्पल ने एलन को श्रद्धांजलि देते हुए ही अपना लोगो एक सेब जो कि खाया हुआ था रखा है. हालांकि उस कंपनी के लोग इस बात को ऑफिशियल नहीं मानते. पर एलन की कहानी सुनने के बाद हमें ऐसा ज़रूर लगता है. लोगो के पीछे की एक कहानी ये भी हो सकती है.
एलन के बारे में और ज़्यादा जानने के लिए आप “द इमिटेशन गेम” फिल्म ज़रूर देखें. इसे देखने के बाद आपको पता चलेगा कि किस तरह ब्रिटेन के इतिहास में भी ऐसी कहानियां मौजूद हैं जिनको इतिहास से मिटा देने की नाकाम कोशिश की जाती रही है.
महान व्यक्तियों के कार्यों को उनके समकालीनों द्वारा मिटाने की हर काल में कोशिश की जाती रही है पर महानता कभी मिटती नहीं है.