जब ग्रोउ के शेयर 12 नवंबर, 2025 को राष्ट्रीय शेयर बाजार (एनएसई) पर ₹112 पर लिस्ट हुए, तो बाजार ने सांस ली। एक दिन पहले, ग्रे मार्केट में इसका प्रीमियम ₹16.7 से गिरकर ₹4.25 हो चुका था — 74.5% का धुआंधार गिरावट। लेकिन जैसे ही ट्रेडिंग शुरू हुई, बाजार ने ग्रोउ के असली वजूद को पहचान लिया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर शेयर ₹114 पर खुले — जिससे आईपीओ प्राइस ₹100 के मुकाबले 14% का प्रीमियम बन गया। ये वो जगह थी जहां अंतिम राय बनी: ग्रे मार्केट का भाव बाजार की वास्तविकता नहीं होता।
ग्रोउ का आईपीओ: एक डिजिटल जादू की कहानी
ग्रोउ, जो 2017 में बैंगलुरु में शुरू हुआ, अब भारत का सबसे बड़ा रिटेल स्टॉक ब्रोकर है। फाइनेंशियल ईयर 2021 से 2025 के बीच इसके सक्रिय ग्राहकों की संख्या 101.7% की सालाना वृद्धि दर से बढ़ी — जबकि पूरे उद्योग की औसत वृद्धि केवल 27% रही। अगस्त-सितंबर 2025 के तिमाही में, एनएसई पर ग्रोउ के एक्टिव क्लाइंट्स का हिस्सा 26.3% तक पहुंच गया। यानी हर चार ट्रेडर्स में से एक ग्रोउ का यूजर है।
आईपीओ की राशि ₹6,632.30 करोड़ थी — जिसमें से ₹1,060 करोड़ नए पैसे के रूप में आए और ₹5,572.30 करोड़ का हिस्सा पुराने शेयरधारकों ने बेच दिया। इसका फेस वैल्यू ₹2 था, और बोलिंग ₹95-₹100 के बैंड में रही। रिटेल निवेशकों ने 9.43 गुना सब्सक्राइब किया, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) ने 22.02 गुना। ये नंबर बताते हैं कि बाजार ने ग्रोउ को एक डिजिटल नेक्सट-जेनरेशन कंपनी के रूप में देखा।
ग्रे मार्केट का अचानक गिरावट: क्या था कारण?
1 नवंबर को ग्रे मार्केट प्रीमियम ₹16.7 था — यानी शेयर लिस्ट होने पर ₹116.7 पर जा सकते थे। लेकिन 11 नवंबर तक यह ₹4.25 रह गया। क्यों? कुछ कहते हैं कि लेंसकार्ट और अन्य टेक-स्टार्टअप्स के लिस्टिंग के बाद बाजार में एक तरह की थकान आ गई। कुछ कहते हैं कि इन्वेस्टर्स ने देखा कि ग्रोउ की वैल्यूएशन ₹100 पर 40 गुना एफआईआई इम्प्लाइड थी — जो बहुत ज्यादा लगा।
मेहता इक्विटीज के प्रशांत तापसे ने कहा, "हम इसे 5-10% प्रीमियम पर लिस्ट होते देखना चाहते थे। लेकिन ग्रोउ का मॉडल बहुत स्केलेबल है — इसलिए इसकी वैल्यूएशन अभी भी अंतर्निहित ताकत को दर्शाती है।" बोनांजा के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट नितिन जैन ने बताया कि ग्रे मार्केट में ₹6.5 से ₹17.25 तक का फर्क था — यानी बाजार में भ्रम था।
लिस्टिंग के बाद: क्या आगे है?
अगर ग्रोउ अगले तीन क्वार्टर में अपने एक्टिव क्लाइंट्स को ₹10 करोड़ तक पहुंचाता है — जैसा कि अब तक का ट्रेंड बता रहा है — तो ये सिर्फ शुरुआत होगी। इसने फाइनेंशियल ईयर 2025 में एनएसई पर 40% नए क्लाइंट्स जोड़े। यानी हर दो नए ट्रेडर्स में से एक ग्रोउ का है।
इसके लिए आईपीओ के जरिए जुटाए गए ₹1,060 करोड़ का इस्तेमाल टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रोडक्ट डेवलपमेंट और एक्स्टर्नल एक्विजिशन्स के लिए होगा। अगर वो एक नया फंड रिकॉम्बिनेशन टूल लॉन्च करते हैं, या डेटा-बेस्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइसरी लॉन्च करते हैं, तो शेयर अभी भी ऊपर जा सकता है।
रिटेल निवेशकों के लिए क्या संदेश है?
ये आईपीओ एक बड़ा संकेत है: रिटेल निवेशक अब टेक कंपनियों को बिना ग्रे मार्केट के देख रहे हैं। ग्रोउ के लिए, ग्रे मार्केट का गिरावट एक टेस्ट था — और उसने पास कर दिया। अगर आप लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं, तो ये एक ऐसी कंपनी है जो भारत के कैपिटल मार्केट के विस्तार का एक प्रतिनिधि है।
एक बात ध्यान देने लायक है: ग्रोउ ने फाइनेंशियल ईयर 2024 से 2025 के बीच 51% नए एनएसई क्लाइंट्स जोड़े। यानी जिस बाजार में दूसरे ब्रोकर्स बरकरार रह रहे थे, वहां ग्रोउ ने दूसरी दुनिया बना दी।
क्या अगला स्टेप?
अगले दो तिमाहियों में ग्रोउ का निकासी और लाभ का आंकड़ा देखना होगा। क्या वो अपने ग्राहकों को एक्स्ट्रा सर्विसेज दे पाएंगे? क्या वो डिजिटल बैंकिंग या रिटेल लोन जैसे नए बिजनेस मॉडल्स में जा सकते हैं? अगर हां, तो ये शेयर ₹150 के पार भी जा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ग्रोउ आईपीओ के लिस्टिंग प्रीमियम का अर्थ क्या है?
ग्रोउ के शेयर ₹100 पर आईपीओ किए गए थे, लेकिन लिस्टिंग पर वो ₹112-₹114 पर खुले। यानी निवेशकों ने उन्हें आईपीओ प्राइस से 12-14% ज्यादा दिया। यह बताता है कि बाजार ने ग्रोउ के बिजनेस मॉडल, ग्रोथ रेट और बाजार हिस्सेदारी को वैल्यू दी।
ग्रे मार्केट प्रीमियम 74% क्यों गिरा?
ग्रे मार्केट अक्सर अनुमानों और भावनाओं पर आधारित होता है। लेंसकार्ट और अन्य टेक आईपीओ के निम्न प्रदर्शन के बाद निवेशकों में सावधानी फैली। इसके अलावा, 40 गुना इम्प्लाइड पीई रेशियो बहुत ऊंचा लगा। लेकिन ये गिरावट वास्तविक मूल्य को नहीं दर्शाती — जो लिस्टिंग पर साफ हुआ।
ग्रोउ के एक्टिव क्लाइंट्स कितने हैं और वो कैसे बढ़ रहे हैं?
फाइनेंशियल ईयर 2025 तक ग्रोउ के 10.3 मिलियन कैश एक्टिव क्लाइंट्स थे, जो फाइनेंशियल ईयर 2024 से 47.7% बढ़ा। इसका CAGR 2021-2025 के बीच 101.7% रहा, जबकि उद्योग की औसत 27% थी। यह दर्शाता है कि ग्रोउ ने रिटेल इन्वेस्टर्स को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आकर्षित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
ग्रोउ के लिए अगले दो साल क्या महत्वपूर्ण होंगे?
अगले दो साल में ग्रोउ को अपने आय और लाभ के आंकड़े बढ़ाने होंगे। वो अपने आईपीओ फंड का उपयोग नए उत्पादों, टेक्नोलॉजी और संभावित एक्विजिशन्स में करेगा। अगर वो रिटेल लोन या ऑटोमेटेड इन्वेस्टमेंट प्लान जैसे नए बिजनेस लाइन्स लॉन्च करते हैं, तो शेयर मूल्य और बढ़ सकता है।
क्या ग्रोउ अभी भी एक अच्छा निवेश है?
हां, अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं। ग्रोउ भारत के रिटेल इन्वेस्टिंग बूम का एक बड़ा हिस्सा है। इसका बिजनेस मॉडल लो कॉस्ट, हाई स्केलेबिलिटी और डिजिटल ड्राइवन है। अगर वो अपने ग्राहक बेस को बनाए रखते हैं और नए रेवेन्यू स्ट्रीम जोड़ते हैं, तो ये एक बड़ा लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट हो सकता है।
ग्रोउ के आईपीओ में कितने निवेशकों ने भाग लिया?
आईपीओ का कुल सब्सक्रिप्शन 17.6 गुना रहा। QIBs ने 22.02 गुना, NIIs ने 14.20 गुना और रिटेल निवेशकों ने 9.43 गुना सब्सक्राइब किया। रिटेल निवेशकों ने कुल 6.63 करोड़ शेयर्स खरीदे, जो कुल ऑफर का 10% था। यह दर्शाता है कि रिटेल निवेशकों की भागीदारी बहुत मजबूत रही।