अब जब बाजार में सब्ज़ी, दाल, तेल की कीमतें लगातार ऊपर जा रही हैं, तो हर घर में बजट की टेंशन बढ़ जाती है। आप भी अक्सर सोचते होंगे कि "आज का दाल कितना महँगा है?" या "कोई सस्ता विकल्प क्या है?" चलिए, इस टैग पेज पर हम खाद्य महँगाई के मुख्य कारण, असर और बचाव के सीधे‑से‑सरल उपायों पर बात करते हैं।
पहला कारण है मौसम का असर। बारिश देर से या असामान्य तापमान से फसलें कम हो जाती हैं, फिर बिचौलियों को मोटी मार मारकर लागत बढ़ा देते हैं। दूसरा कारण है फसल की लागत में बढ़ोतरी – बीज, उर्वरक, मशीनरी सब महँगे होते जा रहे हैं, इसलिए किसानों को अपनी लागत को बेचने के लिए कीमतें बढ़ानी पड़ती हैं। तीसरा बड़ा कारण है परिवहन खर्च। ईंधन की कीमत बढ़नी पर ट्रक का किराया भी बढ़ जाता है, जिससे वही कीमत उपभोक्ता तक पहुँची।
इन तीन कारणों के चलते हम अक्सर देखते हैं कि वही चावल या आटा एक महीने में दो‑तीन रुपये ज्यादा हो जाता है। छोटी-छोटी बढ़ोतरी मिलकर आपका मासिक खर्च दो‑तीन सौ रुपये तक बढ़ा देती है।
पहला उपाय है स्थानीय बाजार की तुलना करना। कभी‑कभी नज़दीकी मंडी में कीमतें सुपरमार्केट से कम होती हैं, क्योंकि बिचौलियों का मार्जिन कम रहता है। दूसरा, जब सब्ज़ी की कीमतें बढ़ें, तो वही सब्ज़ी नहीं, बल्कि सस्ते विकल्प चुनें – जैसे गोभी की जगह पत्तागोभी, आलू की जगह शलगम। यह बदलाव पोषक तत्वों को नहीं घटाता, बस बजट में बचत करता है।
तीसरा, रसोई में थोड़ा बदलाव करें। बची हुई सब्ज़ियों का इस्तेमाल सूप या स्ट्यू में कर सकते हैं, जिससे फेंके जाने वाले हिस्से कम हों। चौथा, फ्रीज़ में बची हुई दाल, चावल, या पेस्ट्री को साल भर सुरक्षित रख सकते हैं, बायुरेस के दौर में भी अब आप हाई‑फ़्रीज़र का भरोसा कर सकते हैं।
अंत में, अगर आपके पास थोड़ा जमीन या बगीचा है, तो एक छोटा बगीचा शुरू करें। मिर्च, टमाटर, हरी मिर्च जैसे आसान‑उगने वाले पौधे घर में उगरते हैं और बाजार की कीमतों से बचाते हैं। यह न सिर्फ आपके खाने को ताज़ा रखता है, बल्कि बच्चों को पौधों की देखभाल में भी रुचि देता है।
खाद्य महँगाई पर चर्चा केवल नंबरों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। यह आपके रोज़मर्रा के खाने, आपकी बचत और आपके परिवार की खुशी से जुड़ी है। ऊपर बताए गए छोटे‑छोटे बदलावों को अपनाकर आप महँगी चीज़ों पर कम खर्च कर सकते हैं और अपना बजट सुरक्षित रख सकते हैं। अब जब आप अगली बार किराने की दूकान में उतरें, तो ये टिप्स याद रखें और समझदारी से खरीदारी करें।
अमूल ने 1 मई 2025 से सभी दूध वेरिएंट पर लीटर당 2 रुपये की कीमत बढ़ा दी, जो जून 2024 के बाद पहली बार है। यह 3‑4% का बढ़ाव है, जो भोजन महँगाई से कम है, लेकिन 36 लाख किसानों की लागत बढ़ने से जरूरी माना गया। नई कीमतों में अमूल गोल्ड 67 रुपये, ताज़ा 55 रुपये, बफ़ेलो 73 रुपये आदि शामिल हैं। माँटर डैरी ने भी समान कदम उठाया, जबकि सितंबर में पैकेज्ड दूध पर जीएसटी छूट मिलने से यूएचटी दूध की कीमतों में हल्की राहत की उम्मीद है।