माँ दुर्गा: शक्ति का प्रतीक और हमारे दिल की धड़कन

जब भी दीप जलते हैं, गजरा लहराते हैं, या गाँव‑शहर में दुर्गा पूजा की धूम होती है, तो आपका मन खुद ही पूछता है – माँ दुर्गा आखिर कौन हैं? साधारण शब्दों में कहें तो माँ दुर्गा वह शक्ति हैं जो बुराई पर जीत हासिल करती हैं और हर घर में सुरक्षा लाती हैं। ये बात हर भारतीय के दिल में बसी है, चाहे आप हिमाचल के पहाड़ों में रहें या कोलकाता की गलियों में।

आपने शायद फिल्म या टीवी में दुर्गा के दस रूप देखे हों – शैलपुत्री, महिषासुरमर्दिनी, काली वगैरह। इन सब रूपों का एक ही मतलब है: बुरे को हराना और इंसान को सशक्त बनाना। जब हम भी रोज़मर्रा की छोटी‑छोटी मुश्किलों का सामना करते हैं, तो माँ दुर्गा के इन रूपों को याद कर हमें हिम्मत मिलती है।

दुर्गा की प्रमुख लक्षण

दुर्गा का सबसे बड़ा लक्षण उनका शौर्य है। वे त्रियंबकदंड, शंख, कर्णी, चक्र और त्रिशूल जैसे हथियार लेकर दुष्ट राक्षसों को नष्ट करती हैं। ये हथियार न सिर्फ शक्ति का प्रतीक हैं, बल्कि जीवन में दृढ़ता और साहस का भी संकेत देते हैं। उनका स्वरूप भी बहुत दिलचस्प है – दस सिर और दस हाथ, जो हर दिशा में मदद पहुंचाने की इच्छा दर्शाते हैं।

दुर्गा की एक और खास बात है उनका करुणामय स्वर। वे राक्षसों को हराने के बाद भी सभी जीवों के लिए दया दिखाती हैं। यही कारण है कि कई लोग उन्हें माँ की तरह मानते हैं, जो सख्त लेकिन समझदार होती हैं। इस करुणा को महसूस करने के लिए आप कभी‑कभी अपने घर में छोटे‑छोटे सम्मान के रूप में फूल और मिठाई रखें; इससे माहौल में शांति और प्रेम का संचार होता है।

दुर्गा पूजा के खास पहलू

दुर्गा पूजा सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि एक ऐसी प्रक्रिया है जो हमें संकल्प और आत्मविश्वास देती है। सबसे पहले, घर के कोने में या मंदिर में दुर्गा की मूर्ति स्थापित की जाती है। फिर नौ दिनों तक विभिन्न अनुष्ठान होते हैं – होली की तरह रंगीन, लेकिन इसका मकसद ऊर्जा को साफ़ करना है।

आपने देखा होगा कि मां दुर्गा को 'सवेर' (सावेर) कहा जाता है, जो रात में सच्ची रक्षक होती हैं। इस कारण लोग अक्सर पूजा के बाद संध्या के समय दीप जलाते हैं, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। साथ ही, माँ दुर्गा के गीत (बजाए) और मंत्र (जप) सुनते ही मन का तनाव घट जाता है और आशा की नई रोशनी छा जाती है।

पूजा के आख़िरी दिन, यानी विजयादशमी को, 'वध' की कथा सुनाई जाती है। यह कहानी हमें बताती है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी हो, सही इरादे और साहस से उसे नष्ट किया जा सकता है। इस दिन माँ दुर्गा की मूर्ति को विसर्जित किया जाता है, पर उनका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहता है।

अगर आप अभी भी सोच रहे हैं कि माँ दुर्गा की पूजा का मतलब क्या है, तो याद रखिए – यह हमारे अंदर छिपी हुई शक्ति को जाग्रत करने का जरिया है। अगली बार जब आप दुर्गा पूजा देखें या खुद घर में मनाएँ, तो इन बातों को अपने दिल में रखें। माँ दुर्गा की ऊर्जा को अपनाएँ और हर छोटी‑छोटी चुनौती को आसान बनाते हुए आगे बढ़ें।

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