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WT20: ऑस्ट्रेलिया को हराए बिना चैंपियन नहीं और युवराज के बिना जीत नहीं!

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नई दिल्ली: साल 2007 और 2011 हर भारतीय क्रिकेट फैन की आंखों में आज भी एक मखमली याद बनकर गुज़र जाता है. देशभर के करोड़ों क्रिकेट फैंस एक बार फिर से आस लगाए बैठे हैं कि एक बार फिर से वर्ल्ड टी20 की वो चमचमाती हुई ट्रॉफी भारत में आएगी. लेकिन, वो राह उतनी भी आसान नहीं है क्योंकि इस बार उस राह का सबसे बड़ा रोढ़ा और कोई नहीं बल्कि वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया है.

जी हां वही ऑस्ट्रेलिया जिसने 2003 विश्वकप फाइनल में गांगुली की आक्रामक टीम को धूल चटाई थी, वही ऑस्ट्रेलिया जिसने कप्तान धोनी की अजेय सेना को 2015 विश्वकप में घरेलू मैदान पर हराकर करोड़ों देशवासियों को ऐसी चोट दी थी जो आज तक ज़िंदा है.

लेकिन इन सब के बावजूद क्रिकेट विश्वकप में भारत और ऑस्ट्रेलिया से जुड़े ऐसे भी आंकड़ें हैं जो ऑस्ट्रेलिया को भी आज रात सोने नहीं देंगे क्योंकि टीम इंडिया के वर्ल्ड चैंपियन होने का रास्ता हर बार ऑस्ट्रेलिया को पार कर के निकला है और युवराज के बिना वो राह तय नहीं की जा सकती.

आइये अब हम याद दिलाते हैं युवराज और ऑस्ट्रेलिया से होकर विश्व विजेता बनने का वो रास्ता.

# 2007 में तमाम बड़ी टीमों को हराकर विजय रथ पर सवार ऑस्ट्रेलिया ने लगातार तीसरा विश्वकप खिताब जीता था जिसके बाद में वो पहला वर्ल्ड टी20 टूर्नामेंट खेलने दक्षिण अफ्रीका पहुंचा. जहां बेहतरीन फॉर्म से गुजरने वाले ऑस्ट्रेलिया का मुकाबला सेमीफाइनल में भारत के साथ डरबन के मैदान पर खेला गया.

इस मुकाबले में भारतीय टीम ने युवराज सिंह के 5 चौके और 5 छक्कों के साथ 30 गेंदों पर 70 रनों की तूफानी पारी से ऑस्ट्रेलिया के सामने 188 रनों का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया. इस पारी में कप्तान धोनी 36 रनों के साथ दूसरे सबसे ज्यादा स्कोर बनाने वाले खिलाड़ी रहे थे. ऑस्ट्रेलिया ने इस स्कोर के सामने 173 रनों पर दम तोड़ दिया और बाहर हो गई.

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वो खास जीत युवी और धोनी को आज भी याद होगी. जिसके बाद भारतीय टीम ने फाइनल में पाकिस्तान को हराकर वर्ल्ड टी20 खिताब जीत लिया.

# साल 2011 भारत, विश्वकप क्वार्टर फाइनल, जी हां जिस तरह कल मोहाली में खेले जाने वाले इस मुकाबले को एक क्वार्टर फाइनल के रूप में लिया जा रहा है उसी तरह 2011 में भी भारत ने ऑस्ट्रेलिया को क्वार्टर फाइनल में 5 विकेट से धूल चटाई थी. इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 261 रनों का लक्ष्य दिया जिसके जवाब में 29वें ओवर में 143 पर कोहली का अहम विकेट गंवाने के बाद मैदान पर आए युवराज ने अंत तक पारी को संवारते हुए टीम को जीत के मकाम तक पहुंचा दिया. युवराज ने 57 रनों की नाबाद पारी खेली और 2 विकेट भी झटके.

इस जीत के बाद फाइनल में भारतीय टीम, श्रीलंका को हराकर विश्व विजेता बनी. जी हां युवराज सिंह के पदार्पण के बाद बज भी दोनों बार भारतीय टीम विश्व विजेता बनी है तब वो ऑस्ट्रेलिया को हराकर ही जीत का रास्ता तय कर निकली है.

# अब तक ये तो रही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत हासिल कर विश्व विजेता बनने की कहानी लेकिन अति आत्मविश्वासी होने से पहले युवराज के बिना पिछले साल 2015 में खेले गए विश्वकप सेमीफाइनल को भी याद कर लीजिए. जी हां वर्ल्ड की जिन दो टक्करों में भारत की तरफ से युवराज खेलते हुए चले वो मैच भी भारत ने जीता और विश्वकप भी. जबकि 2015 में युवराज, टीम इंडिया का हिस्सा नहीं थे और भारतीय टीम सेमीफाइनल में हारकर वापस वतन लौट गई. लेकिन इस बार टीम इंडिया एक बार फिर से अपना दम दिखाने को बेकरार है.

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भारत और ऑस्ट्रेलिया के 2007 और 2011 दोनों विश्वकप के मुकाबलों में युवराज मैन ऑफ द मैच भी रहे और इस बार भी कप्तान धोनी का साथ देने के लिए टीम में मौजूद हैं. इसीलिए हम कह रहे हैं कि ऑस्ट्रेलिया को हराए बिना विश्व विजेता नहीं और युवराज के बिना जीत नहीं…!

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