एड्स से संबंधी भ्रम और तथ्य

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सालों से एच आई वी ‘ह्युमन इम्यूनो डेफिसियंशी वायरस‘ के बारे में पूरे विश्व में भ्रांतियां फैली हुई हैं. कभी-कभी इन भ्रांतियों के कारण ऐसी बीमारियों से लड़ना कठिन हो जाता है. एड्स जैसी घातक बीमारी से बचने का सबसे आसान तरीका है इस बीमारी को जानना.

भ्रम 1
आपके परिवार में या आपके किसी मित्र को एड्स है, तो यह आपको भी हो सकता है.

अब तक के सर्वेक्षणों से पता चलता है कि एच आई वी के मरीज़ को  छूने से, उसके आंसू,पसीने या सैलाइवा से एच आई वी नहीं फैलता. यह वायरस संक्रमित  खून, सिमेन, वैजाइनल फ्लूइड या मां के दूध से फैल सकता है.

भ्रम 2
एच आई वी से डरने की ज़रूरत नहीं, नयी ड्रग्स से इसका इलाज संभव है.

एण्टी रेट्रोवायरल ड्रग्स के प्रयोग से बहुत से एच आई वी के मरीजों की स्थिति में सुधार आया है, लेकिन यह ड्रग्स बहुत महंगी हैं और इनका साइड एफेक्ट भी खतरनाक है. पूरे विश्व में अबतक इस बीमारी का उपचार नहीं खोजा जा सका है.

भ्रम 3
एच आई वी पाज़ीटिव होने का मतलब है, आपका जीवन समाप्त हो गया.

एड्स जैसी बीमारी के शुरूवाती दौर में इससे लड़ना नामुमकिन था, लेकिन अब एण्टी रेट्रोवायरल ड्रग्स की मदद से एच आई वी के साथ जीवन व्यतीत किया जा सकता है .

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भ्रम 4
वो पुरूष जो ड्रग्स  नहीं लेते वो एच आई वी पाज़ीटिव नहीं हो सकते.

अधिकतर पुरूष सेक्सुअल कान्टेक्ट या इन्जेक्शन द्वारा ड्रग्सत लेने से एच आई वी पाज़ीटिव हो जाते हैं.

भ्रम 5
अगर दोनों पार्टनर्स में से कोई एक एच आई वी पाज़ीटिव है तो दूसरे को इसका पता चल जाता है.

एच आई वी का पता बिना टेस्ट के नहीं लग सकता, हो सकता है कि बहुत सालों तक इसके कोई लक्षण आपमें ना दिखें और अचानक से बहुत से लक्षण नज़र दिखने लगें.

 

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