कैसे बनी दुनिया की पहली जींस ?

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जींस आज हमारे फैशन का अहम हिस्सा है. बच्चों से लेकर बड़े भी जो सातों दिन, बारह मास जींस ही पहनते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जींस पहले कारखाने में काम करने वाले श्रमिकों और नाविकों के लिए हुआ करती थी.

हुआ यूं कि 16 वीं सदी में यूरोप ने भारतीय मोटा सूती कपडा़ मंगाना शुरू किया, जिसे डंगरी कहा जाता था. बाद में इसमे समय के साथ कई बदलाव किए गए. लेकिन दुनिया में जींस को ब्रांड बनाने का श्रेय लेवी स्ट्रॉस को जाता है. सन् 1873 में सेन फ्रैंसिस्को के बिजनेसमैन लेवी स्ट्रॉस और दर्जी जेकब डेविस को इसी दिन जींस बनाने का पेटेंट दिया गया. दुनिया की पहली जींस लेवी स्ट्रॉस ने बनाई थी.

लेवी स्ट्रॉस ने दिया जींस को नया रुप

उन्नीसवीं सदी में अमेरिका में सोने की खोज का काम चला. सोने की खानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए भी मजबूत कपड़ों की ज़रूरत थी. सन् 1853 में लेओब स्ट्रॉस ने थोक में कपड़ों की सप्लाई का कारोबार शुरू किया. लेओब ने बाद में अपना नाम बदलकर लेवी स्ट्रॉस कर दिया. लेवी स्ट्रॉस को जैकब डेविस नाम के व्यक्ति ने जींस नामक पतलून की पॉकेटों को जोड़ने के लिए मेटल के रिवेट इस्तेमाल करने की राय दी.

हॉलीवुड की काउब्वॉय ये जींस को मिली नई पहचान

लेवी स्ट्रॉस ने कॉपर के रिवेट वाले ‘वेस्ट ओवरऑल’ बनाने शुरू किए. तब तक अमेरिका में जींस का यही नाम था. 1886 में लेवाई स्ट्रॉस ने इस पतलून पर चमड़े के लेबल लगाने शुरू कर दिए. इन लेबलों पर दो घोड़े विपरीत दिशाओं में जाते हुए एक पतलून को खींचते हुए दिखाई पड़ते थे. इसका मतलब था कि पतलून इतनी मज़बूत है कि दो घोड़े भी उसे फाड़ नहीं सकते. बीसवीं सदी में हॉलीवुड की काउब्वॉय फिल्मों ने जींस को काफी लोकप्रिय बनाया.

 

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