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मैथुन का इतिहास

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बच्चा जब किशोरावस्था में प्रवेश करता है और मित्रों के बीच जाता है तो उससे एक सवाल जरूर पूछा जाता है- क्या तुम मैथुन करते हो? कई किशोर शर्मा जाते हैं, चाहे वो मैथुन करते हों या नहीं. यही वो समय होता है जब मैथुन के बारे में तमाम भ्रंतियां किशोरावस्था में सबसे फैलायी जाती हैं, जैसे मैथुन करने से लिंग टेढ़ा हो जाता है, इससे नपुंसकता आती है, इससे कमजोरी आती है, इससे हड्डियों का रस सूख जाता है, आदि.

आप भी ऐसे सवालों से गुजरे होंगे, लेकिन क्या किसी ने कभी आपसे मैथुन का इतिहास पूछा? शायद नहीं! तो ये लीजिये इस सवाल का उत्तर. अगर इतिहास के झरोखे में झांक कर देखें तो दुनिया के कई स्थानों पर पुरा-पाषाण, पाषण युग और मध्यकालीन युग की तमाम चट्टानों और बर्तनों पर बने चित्र इस बात की गवाह हैं कि मैथुन आज से नहीं बल्कि सदियों पुरानी क्रिया है. माल्टा में बने एक 40 लाख साल ईसा पूर्व पुराने मंदिर में एक पेंटिंग में दर्शाया गया है कि एक महिला मैथुन कर रही है.

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ऐतिहासिक चित्रों व मूर्तियों में जो मैथुन दर्शाया गया है- उनमें ज्यादातर में पुरुष बड़ी ही आराम देह अवस्थाह में मैथुन कर रहा है. पत्थरों पर मिलने वाले चित्रणों से भी साफ है कि पुरुष अकेले में ही मैथुन करते थे.यही नहीं पाषाण युग से ही पुरुष तभी मैथुन करते थे, जब वे आराम करने जाते थे.

ऐसी ही अवस्थाएं महिलाओं की भी दर्शायी गई है. करीब डेढ़ हजार साल पुराने खजुराहो के मंदिरों व खंडहरों को दखें तो वहां भी आपको मैथुन की कई क्रियायें देखने को मिलेंगी. उन क्रियाओं में कई जगह महिलाएं पुरुष के लिंग को पकड़ कर मैथुन करती नजर आती हैं. 600 साल ईसा पूर्व में मिस्र के इतिहास में मैथुन के महत्व को दर्शाया गया है.

ऐतिहासिक चित्रण दर्शाते हैं कि उस दौरान भारी संख्या में पुरुष किसी खास उपलक्ष्य पर नील नदी के तट पर खड़े होकर हस्त मैथुन करते थे और अपना वीर्य नदी में प्रवाहित करते थे. कई चित्रों में पुरुषों को नदी के तट पर खड़े होकर दो हाथों से मैथुन करते दर्शाया गया है. लोगों का मानना था कि जब ईश्वर मैथुन करते हैं तब चमत्कार होता है. मिस्र में हजारों साल पहले से ही मैथुन को सेहत के लिए वर्धक माना जाता था.

साथ ही इसे सेक्सुअल फ्रस्टेशन को मिटाने का साधन भी माना जाता था. मित्र की प्राचीन सभ्यतता में महिलाएं भी मैथुन को अच्छा मानती थीं. रोम का इतिहास बताता है कि प्राचीन काल के चित्रणों में दर्शाया गया है कि वे लोग जो गुलाम होते थे या किसी जेल की सजा काट रहे होते थे, वे ही मैथुन करते थे. प्राचीन मूर्तियां बताती हैं कि रोम में सिर्फ बाएं हाथ से मैथुन का ही प्रचलन था. एक सभ्यता ऐसी भी थी, जिसमें मैथुन पूरी तरह वर्जित था. वो थी अफ्रीकी सभ्यता. यहां तक उनकी भाषा में भी मैथुन के लिए कोई शब्द नहीं था. इस क्रिया को गुनाह माना जाता था.

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