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क्या है सरोगेसी यानी किराये की कोख, कहां से मिलती है सरोगेट मदर और कानून की नज़र में सरोगेसी

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स्वास्थ्य मंत्रालय ने सरोगेसी को लेकर नई रूपरेखा तैयार की है.  कैबिनेट में नई रूप रेखा को मंजूरी भी मिल गई है. आज हम आपको बता रहे हैं ‘सरोगेसी’ से जुड़ा हर वो पहलू जिसे जानकर आपको सरोगेसी विकल्प चुनने में होगी आसानी.

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क्या है सरोगेसी –
सरोगेसी एक महिला और एक दंपति के बीच का एक एग्रीमेंट है, जो अपना खुद का बच्चा चाहता है. सामान्य शब्दों में सरोगेसी का मतलब है कि बच्चे के जन्म तक एक महिला की ‘किराए की कोख’.

आमतौर पर सरोगेसी की मदद तब ली जाती है जब किसी दंपति को बच्चे को जन्‍म देने में कठिनाई आ रही हो. बार-बार गर्भपत हो रहा हो या फिर बार-बार आईवीएफ तकनीक फेल हो रही है. जो महिला किसी और दंपति के बच्चे को अपनी कोख से जन्‍म देने को तैयार हो जाती है उसे ‘सरोगेट मदर’ कहा जाता है.

कहां से मिलती है सरोगेट मदर-

सरोगेसी कुछ विशेष एजेंसी द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है. इन एजेंजिस को आर्ट क्लीनिक कहा जाता है जो कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की गाइडलाइंस फॉलो करती है. सरोगेसी का एक एग्रीमेंट बनवाया जाता है जिसे दो अजनबियों से हस्ताक्षर करवाएं जाते हैं जो कभी नहीं मिले. सरोगेट परिवार का सदस्य या दोस्त भी हो सकता है.

सरोगेसी के लिए भारत क्यों है पॉपुलर –

भारत में किराए की कोख लेने का खर्चा यानी सरोगेसी का खर्चा अन्य देशों से कई गुना कम है और साथ भारत में ऐसी बहुत सी महिलाएं उपलब्ध है जो सरोगेट मदर बनने को आसानी से तैयार हो जाती हैं. गर्भवती होने से लेकर डिलीवरी तक महिलाओं की अच्छी तरह से देखभाल तो होती ही है साथ ही उन्हें अच्छी खासी रकम भी दी जाती है.

इन स्थितियों में बेहतर विकल्प है सरोगेसी –

  • आईवीएफ उपचार फेल हो गया हो.
  • बार-बार गर्भपात हो रहा हो.
  • भ्रूण आरोपण उपचार की विफलता के बाद.
  • गर्भ में कोई विकृति होने पर.
  • गर्भाशय या श्रोणि विकार होने पर.
  • दिल की खतरनाक बीमारियां होने पर. जिगर की बीमारी या उच्च रक्तचाप होने पर या उस स्थिति में जब गर्भावस्था के दौरान महिला को गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम होने का डर हो.
  • गर्भाशय के अभाव में.
  • यूट्रेस का दुर्बल होने की स्थिति में.

कौन हो सकती है सरोगेट मदर –

सरोगेट मदर वही महिला बन सकती है जिसमें गर्भ ग्रहण करने और डिलीवरी करने की क्षमता हो जिसके एवज में महिला को आर्थिक रूप से मुआवजा मिले.

सरोगेट मदर को आईवीएफ इन विटरो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक के जरिए गर्भवती किया जाता है जिसमें या तो इच्‍छुक मां के एग्स या फिर एग डोनर से लिए हुए एग और इच्छुक पिता के स्पर्म या स्पर्म डोनर से स्पर्म लिए जाते हैं.

सरोगेट मदर बनने की योग्यता –

  • सरोगेट मदर की उम्र 21 से 35 उम्र के बीच होनी आवश्यक है.
  • ऐसी महिला जिसे पहले गर्भावस्था के दौरान कोई कॉम्पलीकेशंस ना आए हो.
  • बच्चे को जन्म देने की क्षमता हो.
  • महिला कभी अपराधिक मामलों में ना रही हो.
  • स्वास्थ्य संबंधी कोई गंभीर समस्या या कॉम्पलीकेशंस ना रहे हो.
  • पहले कभी सरोगेट मदर ना रही हो.
  • एल्कोहल, ड्रग और धूम्रपान का सेवन ना करती हो.
  • मानसिक स्वास्थ्य सही हो, किसी तरह की कोई कॉम्पकलीकेशंस ना हो.
  • कानून की नजर में सरोगेसी –
  • 2015 से पहले भारत में विदेशी दंपति आकर किराए की कोख ले सकते थे. लेकिन 2015 के बाद सिर्फ भारतीय दंपत्तियों के लिए ही सरोगेसी की अनुमति है.
  • विदेशियों के पास मैरिज सर्टिफिकेट या कोई सरकारी डॉक्यूकमेंट होना जरूरी था. सरोगेसी का विकल्प चुनने के लिए कोई मेडिकल कारण होना भी जरूरी था. विदेशी समलैंगिकों को सरोगेसी विकल्प चुनने की आजादी नहीं थी.
  • भारत में सिंगल पेरेंट्स भी यानी बिना शादी के भी सरोगेसी का विकल्प चुन सकते हैं.
  • सरोगेसी के लिए दंपति को कम से कम दो साल शादीशुदा होना जरूरी है.कुछ अन्य जानकारी –
  • यदि सरोगेट मदर विवाहित हो तो पति के सहमती अनिवार्य है ताकी भविष्य में वैवाहिक विवादों को टाल सकें.
  • सरोगेट मदर एक ही दम्पति के लिए 3 से ज़्यादा बार गर्भ धारण नहीं कर सकती.
  • सरोगेट को यौन सन्चारित रोगों के लिए जाँच करवानी चाहिए.
  • सरोगेट माँ के लिए एक जीवन बीमा कवर को शामिल करना चाहिए.
  •  सरोगेट माँ को किसी भी बच्चे पर अभिभाविक अधिकार नहीं होना चाहिए और बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र पर सरोगेट मां का नाम नहीं होना चाहिए ताकी भविष्य में जन्म अधिकार में कोई कानूनी कलह न हो
  • माता-पिता कानून के अनुसार बच्चे (सामान्य हो या नहीं) की कस्टडी को स्वीकार करने के लिए बाध्य है.
  • सरोगेसी और माता-पिता की पहचान हमेशा गुप्त बनाए रखनी चाहिए जिससे किसी के भी अधिकारों का हनन ना हो.
  •  सरोगेसी मदर बनने वाली महिला अपनी लाइफ में कुछ मिलाकर 6 बार गर्भवती हो सकती है. इनमें से तीन बार सर्जरी प्रेग्नेंसी भी शामिल है. छठी प्रेग्नेंसी में 40 से अधिक उम्र नहीं होनी चाहिए.
  • सरोगेट माँ की चिकित्सा का बीमा, गर्भावस्था तथा बच्चे की जन्म से संबंधित और अन्य उचित खर्च सहित खर्चों, माता-पिता द्वारा वहन किए जाने चाहिए.
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