सेक्स में दिलचस्पी ना होना, हो सकती है बीमारी!

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विकिपीडिया के अनुसार “एसेक्सुअलिटी किसी के लिए भी शारीरिक आकर्षण के अभाव और सेक्स में बिल्‍कुल दिलचस्पी न होने की स्थिति को कहते हैं.”

लेकिन हमेशा की तरह, ये उतना सरल मुद्दा नहीं है. जैसे आकर्षण का उदाहरण लीजिये. कुछ एसेक्सुअल लोग आकर्षण महसूस करते हैं, सम्बन्ध भी रखना चाहते हैं, बस सेक्स नहीं करना चाहते. जबकि दूसरे एसेक्सुअल न आकर्षण महसूस करते हैं न ही उनकी किसी से कोई सम्बन्ध रखने की चाह होती है.

और जहाँ बात कामोत्तेजना की है, तो भी कोई सीधा फार्मूला नहीं है. कुछ एसेक्सुअल लोग नियमित रूम से कामोत्तेजना महसूस करते हैं लेकिन उनकी इस उत्तेजना के पीछे किसी और व्यक्ति से सेक्स करने की लालसा नहीं होती. वहीँ कुछ दूसरे एसेक्सुअल लोग नियमित रूप से हस्तमैथुन करते हैं, और कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें कामोत्तेजना ही नहीं होती.

यदि कोई व्यक्ति अपनी मर्ज़ी से, व्यक्तिगत या धार्मिक कारण से सेक्स से दूर रहने का फैसला करता है तो वो ब्रह्मचारी है. ब्रह्मचर्य और एसेक्सुअलिटी अलग अलग चीज़ें हैं. ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे लोगों को सेक्स की इच्छा होना संभव है लेकिन एसेक्सुअल लोगों को ये इच्छा ही नहीं होती.

सभी एसेक्सुअल ब्रह्मचारी नहीं होते. संभव है की कुछ एसेक्सुअल लोग सेक्स करते हों. इसकी वजह उनके पार्टनर की ख़ुशी या फिर संतान उत्‍पत्ति हो सकती है.

बहरहाल, जहाँ कुछ एसेक्सुअल कभी-कभार सेक्स कर लेते हैं, कुछ दूसरे सेक्स से नफरत करते हैं. मतलब सेक्स करना उन्हें असहज लगता है और इसके ख्याल भर से ही उन्हें घिन्न आना संभव है.

वैज्ञानिक तबके में अभी भी यह चर्चा जारी है की एसेक्सुअलिटी एक प्रकार की सेक्स अनुस्थिति है या नहीं? लेकिन एक बात पर कोई संदेह नहीं है, वो यह की ये अनुस्थिति बदलती नहीं है.

ऐसा नहीं है की ‘सही व्यक्ति’ से मिलकर अचानक उनका रुझान बदल जाये. एसेक्सुअल लोग जन्म से एसेक्सुअल ही होते हैं. और इसके किसी प्रकार के इलाज की सम्भावना अभी तक ज्ञात नहीं है.

इसकी वजह क्या है?

बहुत से एसेक्सुअल लोग अपनी स्थिति के बावजूद पूरी तरह खुश और संतुष्ट होते हैं. एसेक्सुअल होने से आपके व्यव्हार में कोई बदलाव नहीं आता, सिवाय आपके सेक्स व्यवहार के. और किसी को देख कर ये अंदाज़ा लगना नामुमकिन है कि वो एसेक्सुअल है.

आप अपने आप को एसेक्सुअल मानते हैं या नहीं ये केवल आप पर निर्भर करता है. क्यूंकि अंततः ये एक व्यक्तिगत अनुस्थिति है. इसका निर्णय भी केवल आप खुद ही ले सकते हैं.

इसका पता लगाने के कोई निश्चित टेस्ट नहीं हैं. कुछ संकेत अवश्य हो सकते हैं जैसे कि किसी भी व्यक्ति के लिए आकर्षण न होना, लेकिन अंत में ये निर्णय लेने वाले केवल आप खुद ही हैं.

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